पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस (TMC) की प्रमुख ममता बनर्जी ने मंगलवार को बीरभूम के इलमबाजार में एक जनसभा में प्रवासी अल्पसंख्यक समुदाय को लेकर बड़ा बयान दिया। उन्होंने अल्पसंख्यकों से अपील की कि वे सिर्फ त्योहारों के मौके पर बंगाल न आएं, बल्कि स्थायी रूप से राज्य में रहें और अपना नाम वोटर लिस्ट में दर्ज करवाएं। मुख्यमंत्री ने 18 वर्ष की आयु पूरी कर चुके छात्रों से भी अपील की कि वे मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज कराएं। उन्होंने इसे उनकी सुरक्षा और अधिकारों की रक्षा का एक ज़रूरी कदम बताया।

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ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि नए मतदाता पंजीकरण के नाम पर राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) लागू करने की साजिश की जा रही है। उन्होंने कहा, “मैं अल्पसंख्यक भाइयों-बहनों से अपील करती हूं कि वोटर लिस्ट में अपना नाम जरूर दर्ज कराएं। यह उनका संवैधानिक और लोकतांत्रिक अधिकार है। अगर किसी का नाम सूची से हटाया जाता है, तो उसका विरोध करना पूरी तरह से जायज़ है।”
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असम में NRC की प्रक्रिया का हवाला देते हुए ममता ने दावा किया कि वहां अंतिम सूची से करीब 17 लाख लोग बाहर कर दिए गए हैं, जिनमें हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई और नेपाली समुदाय के लोग शामिल हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि इनमें से कई लोगों को नजरबंदी शिविरों में रखा गया है। उन्होंने यह भी दावा किया कि हरियाणा और गुरुग्राम में दस डिटेंशन कैंप स्थापित किए गए हैं, जबकि असम में लाखों लोग पहले से ही शिविरों में जीवन गुजारने को मजबूर हैं।