पूर्व अभिनेत्री ममता कुलकर्णी ने महामंडलेश्वर के पद से इस्तीफा दे दिया है। ये खबर तब आई है, जब कुछ दिनों पहले ही उन्हें इस पद से निष्कासित कर दिया गया था। उनके साथ लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को भी आचार्य महामंडलेश्वर के पद से हटा दिया गया था। ये कार्रवाई किन्नर अखाड़े के संस्थापक अजय दास ने की थी। ममता कुलकर्णी को हाल ही में किन्नर अखाड़े द्वारा महामंडलेश्वर की उपाधि दी गई थी, लेकिन इस फैसले पर शंकराचार्यों समेत कई धार्मिक गुरुओं ने आपत्ति जताई।
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ममता कुलकर्णी ने महामंडलेश्व पद छोड़ते हुए कहा, ‘साध्वी हूं, साध्वी रहूंगी।’इस बात की जानकारी उन्होंने खुद सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट कर दी है। उन्होंने कहा कि आज अखाड़ा में मुझे लेकर जो विवाद हो रहा है, उसी को लेकर मैंने यह फैसला लिया। मुझे महामंडलेश्वर का सम्मान दिया गया था। लेकिन ये कुछ लोगों के लिए आपत्तिजनक हो गया था। बॉलीवुड छोड़े मुझे अरसा हो गया। मैं साध्वी वाला जीवन जी रही थी, फिर भी मुझे कई तरह की बात सुननी पड़ी।
ममता ने कहा कि कुछ लोगों को मेरे महामंडलेश्वर बनने से समस्या हो गई, चाहे वह शंकराचार्य हों या कोई और। मैं इस विवाद में फंस गई।’ उन्होंने कहा कि भगवान भी आभूषण पहनते हैं और संन्यास की अपनी अलग परिभाषा होती है। मैंने 25 साल घोर तपस्या की है। लेकिन मेरे महामंडलेश्वर बनने पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
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महामंडलेश्वर बनने को लेकर पैसों के लेन-देन के आरोपों पर भी ममता कुलकर्णी ने अपनी सफाई दी। उन्होंने कहा कि जब मुझसे ₹2 लाख मांगे गए, तब मेरे पास पैसे नहीं थे। जय अंबा गिरी महामंडलेश्वर ने खुद अपने पास से ₹2 लाख दिए. लेकिन अब कहा जा रहा है कि मैंने 2 करोड़, 4 करोड़ दिए। ये सब झूठ है।
ममता कुलकर्णी ने अपने वीडियो में कहा कि मैंने 25 साल साधना की है, मैं किसी कैलाश या मानसरोवर जाने की जरूरत नहीं समझती। पूरा ब्रह्मांड मेरे सामने है। मैं अपने ध्यान और समाधि से कभी समझौता नहीं करूंगी। महामंडलेश्वर पद को मैं एक सम्मान के रूप में स्वीकार कर रही थी, ताकि आने वाली पीढ़ी को ज्ञान दे सकूं। लेकिन अब मैं इससे अलग हो रही हूं। उन्होंने वीडियो के अंत में कहा, ‘मैं इस पद को छोड़ रही हूं और आगे भी साध्वी रहूंगी।