बिहार सरकार अब अपने अभियंताओं की फिटनेस को लेकर सतर्क हो गई है। भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) और बिहार प्रशासनिक सेवा (BPS) अधिकारियों की तरह, अब राज्य के अभियंताओं की भी अनिवार्य स्वास्थ्य जांच होगी। ग्रामीण कार्य विभाग ने यह निर्णय लिया है, जिसके तहत 40 वर्ष से अधिक उम्र वाले सभी अभियंताओं को 31 मार्च तक अपनी स्वास्थ्य जांच करानी होगी।
फील्ड पोस्टिंग में होगी स्वास्थ्य रिपोर्ट की अहम भूमिका
सरकार इस कदम को अभियंताओं की कार्यक्षमता से जोड़कर देख रही है। विभाग के अनुसार, जिन इंजीनियरों की रिपोर्ट संतोषजनक नहीं होगी, उनकी फील्ड पोस्टिंग पर पुनर्विचार किया जाएगा ताकि वे अपनी जिम्मेदारियों को बेहतर ढंग से निभा सकें। ग्रामीण कार्य विभाग में लगभग 1100 अभियंता कार्यरत हैं, जबकि राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में कुल सात हजार इंजीनियर काम कर रहे हैं।
क्यों लिया गया यह फैसला?
स्वास्थ्य विभाग के निर्देशों के बाद ग्रामीण कार्य विभाग ने इस अनिवार्य जांच की व्यवस्था की है। संयुक्त सचिव की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि सभी अधीक्षण अभियंता, कार्यपालक अभियंता और सहायक अभियंता को अपनी जांच रिपोर्ट ई-पीएआर (e-PAR) पोर्टल पर अपलोड करनी होगी। सरकार ने स्पष्ट किया है कि अगर अभियंता 31 मार्च तक अपनी जांच रिपोर्ट जमा नहीं करते हैं, तो उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई हो सकती है।
किन जांचों को कराया जाएगा अनिवार्य?
इंजीनियरों को निम्नलिखित मेडिकल परीक्षण कराने होंगे:
- ब्लड टेस्ट: हिमोग्राम, टीएलसी, डीएलसी, हीमोग्लोबिन स्तर
- ब्लड शुगर: खाली पेट और भोजन के बाद
- लिपिड प्रोफाइल: कोलेस्ट्रॉल और अन्य फैट लेवल
- लिवर और किडनी फंक्शन टेस्ट
- यूरिन टेस्ट
- हृदय जांच: ईसीजी, चेस्ट एक्स-रे
- पेट का अल्ट्रासाउंड
इस पहल का उद्देश्य इंजीनियरों की सेहत को ध्यान में रखते हुए उनकी दक्षता को बनाए रखना है। कई अभियंता कठिन परिस्थितियों में काम करते हैं, जहां स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उनके प्रदर्शन को प्रभावित कर सकती हैं।