बिहार चुनाव से पहले ही केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री जीतन राम मांझी के तेवर बदलने लगे हैं। मांझी ने बिहार की एनडीए सरकार पर ‘एस्टीमेट घोटाले’ का गंभीर आरोप लगाया है। एक कार्यक्रम में मांझी ने कहा कि बिहार में 10 रुपये के काम का एस्टीमेट 1000 रुपये का बनाया जाता है, और उसमें भी काम पूरा नहीं होता। उन्होंने दावा किया कि 10 के काम में भी बड़ा हिस्सा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाता है। बाकी ₹990 का तो कोई हिसाब ही नहीं रहता है। मांझी ने सरकार से इस मामले में सख्त कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने 990 रुपये को बच्चों के कल्याणकारी कार्यक्रमों में लगाने का सुझाव दिया।
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मांझी खुद मोदी कैबिनेट में मंत्री हैं जबकि उनके बेटे संतोष सुमन नीतीश सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं। मांझी का यह बयान बिहार में ग्रामीण कार्य विभाग, सड़क निर्माण, और अन्य बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में कथित भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है, जहां प्रोजेक्ट की लागत को कथित रूप से कई गुना बढ़ाकर दिखाया जाता है। दरअसल, मांझी कल (3 मई को) समस्तीपुर जिले के मोरवा विधानसभा स्थित मालपुर मैदान में आयोजित मिलन समारोह में पहुंचे थे, यहाँ भी उन्होंने नीतीश सरकार को निशाने पर लिया। भाषण के दौरान उन्होंने दिल खोलकर नीतीश सरकार की कमियों को उजागर किया। जीतनराम मांझी ने कहा कि नारी सशक्तिकरण की बात करते हैं, लेकिन जो होना चाहिए वह सरकार नहीं कर रही है।
जीतनराम मांझी ने कहा कि जब हम मुख्यमंत्री थे, तो हमने एक नीति अपनाई थी कि चाहे जिस समाज की बेटी हो, जिस जाति की बेटी हो, उनको हम पहली क्लास से लेकर एमए तक फ्री पढ़ाएंगे और आज भी वो सैद्धांतिक रूप से फ्री है। लेकिन सरकार की यहां पर कमी है. जिस कॉलेज से जिस यूनिवर्सिटी से हमारी बेटियां पढ़ रही है और डिग्री ले रही हैं वहां उनको फ्री पढ़ाया जाता है, लेकिन सार्टिफिकेट लेने के लिए डेट सीट जो सरकार विश्वविद्यालय को देती है और विश्वविद्यालय कॉलेज को देता है, वह समय पर नहीं मिलता है।
उन्होंने कहा कि जो हमने बेटियों को आगे बढ़ाने के लिए प्रयास किया था, उसमें बाधा आ रही है। हम जो बोलते हैं उसका प्रभाव पड़ता है कि नहीं पड़ता है, लेकिन हम तो समझते हैं कि कोई प्रभाव नहीं होता है। क्योंकि जब हम बोधगया में गए थे वहां मगध विश्वविद्यालय के कुछ लड़कियों ने कहा कि सरकार के डेट सीट नहीं देने के कारण हम लोग को सर्टिफिकेट समय पर नहीं मिल रहा है और बड़े घर की बेटियों फीस देकर सर्टिफिकेट ले लेती हैं। वह लोग तो आगे बढ़ जाती हैं, लेकिन गरीब बेटियों को आगे बढ़ने का मौका नहीं मिलता है। जीतन राम मांझी ने कहा कि हम सरकार से कहना चाहते हैं कि आप नारी सशक्तिकरण की बात करते हो, लेकिन शैक्षणिक माहौल को ठीक नहीं किया जाएगा, तो यह नहीं हो सकता है।