राजद सांसद मनोज झा ने एक प्रेस कांफ्रेंस में भारत सरकार से अपील की है कि अर्धसैनिक बलों के जवानों को भी वही सम्मान, मुआवजा और सुविधाएं दी जाएं जो भारतीय सेना के शहीदों को दी जाती हैं। उन्होंने विशेष रूप से बैटल कैजुअल्टी का दर्जा देने की मांग को प्रमुखता दी।
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इस दौरान उन्होंने तेजस्वी यादव द्वारा लिखे गए पत्र का हवाला दिया, जिसमें गृह मंत्री अमित शाह से अर्धसैनिक बलों को सेना के बराबर पेंशन, मुआवजा, नौकरी और राष्ट्रीय युद्ध स्मारक (National War Memorial) में नाम दर्ज कराने की मांग की गई है।
दरअसल, भारत में CRPF, BSF, ITBP जैसे अर्धसैनिक बल आतंकवाद, नक्सलवाद और सीमावर्ती सुरक्षा में सबसे आगे रहते हैं। फिर भी इन बलों के शहीदों को अक्सर वही आधिकारिक मान्यता और लाभ नहीं मिलते, जो भारतीय सेना के जवानों को मिलते हैं।
मनोज झा का कहना है कि “शहादत की कोई वर्दी नहीं होती, अगर सीमा पर खड़े अर्धसैनिक बल के जवान भी देश के लिए बलिदान देते हैं, तो उन्हें भी वही दर्जा मिलना चाहिए।”
तेजस्वी यादव का पत्र – संवेदना और संकल्प का मेल
तेजस्वी यादव ने गृह मंत्री को एक भावुक पत्र लिखते हुए कहा कि कई बार जवान युद्धजनित परिस्थितियों के कारण तत्काल नहीं बल्कि कुछ महीनों बाद दम तोड़ते हैं। ऐसे मामलों को भी शहीद की श्रेणी में माना जाना चाहिए।
उन्होंने स्पष्ट किया कि सेना और अर्धसैनिक बलों के बीच लाभों में समानता होनी चाहिए।
पत्र में निम्नलिखित मांगें प्रमुख थीं:
- अर्धसैनिक बलों को बैटल कैजुअल्टी घोषित किया जाए
- परिवारों को समान पेंशन और सरकारी नौकरी दी जाए
- युद्ध स्मारकों में उनके नाम दर्ज किए जाएं
- केंद्र और राज्य से मिलने वाली सहायता में समानता हो