भोजपुरी सुपरस्टार पवन सिंह और यूट्यूबर व सामाजिक कार्यकर्ता मनीष कश्यप की हालिया मुलाकात ने बिहार की राजनीतिक फिजा में हलचल मचा दी है। लखनऊ में हुई इस खास भेंट के बाद राजनीतिक गलियारों से लेकर सोशल मीडिया तक चर्चाओं का बाजार गर्म है। सवाल उठ रहा है—क्या दोनों मिलकर कोई बड़ा राजनीतिक कदम उठाने वाले हैं?
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इस मुलाकात की अहमियत सिर्फ दो चर्चित हस्तियों की दोस्ताना बातचीत तक सीमित नहीं है। इसमें खास बात यह है कि तस्वीरों में पवन सिंह की मां भी मौजूद हैं, जो दोनों को आशीर्वाद देती नजर आ रही हैं। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि यह सिर्फ एक पारिवारिक या व्यक्तिगत मुलाकात नहीं, बल्कि इसके पीछे कोई रणनीतिक उद्देश्य हो सकता है।
भाजपा से दूरी, नए समीकरण की तैयारी?
दोनों ही नेता हाल ही में भाजपा से दूरी बना चुके हैं। पवन सिंह ने 2024 के लोकसभा चुनाव में काराकाट सीट से एनडीए के बागी उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरकर सबको चौंकाया था। हालांकि चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा, और तभी से उनका भाजपा से रिश्ता कुछ ठंडा पड़ता दिखा। दूसरी ओर, मनीष कश्यप का भाजपा से अलगाव और भी नाटकीय रहा। पीएमसीएच में पिटाई की घटना के बाद उन्होंने पार्टी पर गंभीर आरोप लगाए और पार्टी से नाता तोड़ लिया। इसके बाद से ही वह जनता के बीच अपनी ‘जमीनी नेता’ की छवि को और मजबूत कर रहे हैं।
सियासी गठबंधन या नई पार्टी?
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि मनीष कश्यप और पवन सिंह अगर साथ आते हैं, तो यह बिहार की राजनीति में नया समीकरण बना सकता है—खासकर युवा और ग्रामीण मतदाताओं के बीच। दोनों की सोशल मीडिया पर जबरदस्त फॉलोइंग है और दोनों ही जनता के मुद्दों को अपने-अपने अंदाज़ में उठाते रहे हैं। हालांकि अभी तक दोनों की तरफ से इस मुलाकात पर कोई औपचारिक राजनीतिक घोषणा नहीं की गई है, लेकिन यह तय है कि बिहार चुनाव से पहले इस तरह की मुलाकातें किसी न किसी सियासी इशारे की तरफ इशारा करती हैं।