पूरी दुनियाभर के पुरुषों के पिता बनने की क्षमता लगातार कम हो रही है। पिछले चार दशकों में तो यह आधी ही रह गई है। इजरायल के एक वायरोलाजिस्ट हगाई लवीने ने इस मुद्दे पर व्यापक शोध किया है। शोध में एशिया, अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, भारत समेत 53 देशों के 57 हजार पुरुषों पर शामिल किया गया है। शोध के बाद यह स्पष्ट हुआ है कि पुरुषों में पिता बनने की क्षमता लगातार कम हुई है।
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कम हो रहे शुक्राणु
Human Reproduction Update जर्नल की एक रिपोर्ट के अनुसार पुरुषों के शुक्राणुओं में लगातार कमी आई है। रिपोर्ट के अनुसार शुक्राणुओं की संख्या में हर साल लगभग 1.1 फीसदी की कमी हो रही है। इस मामले पर लगातार शोध होते रहते हैं और हर शोध इसकी पुष्टि भी करता है। 2017 के शोध में शुक्राणुओं की कमी सामने आई थी। 1973 से ले कर 2018 तक के बीच पुरुषों के शुक्राणुओं की संख्या में 51 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। रिपोर्ट के अनुसार पुरुषों में 10.12 करोड़ शुक्राणुओं की जगह सिर्फ 4.9 करोड़ शुक्राणु ही मौजूद थे।
शुक्राणुओं में कमी के कारण कई
वैसे तो शुक्राणुओं की कमी के कई कारण है। लेकिन मोटे तौर पर विशेषज्ञों का मानना है कि बढ़ते प्रदूषण, प्लास्टिक, धूम्रपान, नशीली दवाएं, खराब नींद और जीवनशैली, मोटापा, स्ट्रेस आदि शुक्राणुओं में कमी के प्रमुख कारण हैं। वहीं, डेनमार्क के एक शोध में स्पष्ट हुआ है कि Cheese और मांस में Fat, वजन बढ़ाने के साथ शुक्राणुओं की कमी का बड़ा कारण है।
भारत में लगातार गिरी औसत बच्चों की संख्या


हमारा देश जब आजाद हुआ तो भारत की प्रजनन दर 6 बच्चे प्रति महिला थी। 1990 के दशक में यह गिरकर चार हो गई। इसके पीछे के कारण जागरुकता और परिवार नियोजन कार्यक्रम भी रहे। भारत में 2020 में औसत 2.4 बच्चे हो गए, जो 2021 में 2.0 रह गई है। यानी केवल पांच वर्षों में प्रजनन दर 10 फीसदी गिर गई। महिलाओं में टेंशन, अकेलापन, एल्कोहल, गर्भनिरोधक दवाएं और जंक फूड बड़ा कारण है।