मीनापुर विधानसभा (निर्वाचन क्षेत्र संख्या 90) बिहार की उन अहम सीटों में से है, जिसने कई बार राज्य की राजनीति की दिशा तय की है। मुजफ्फरपुर जिले में स्थित यह सीट अब तक 16 विधानसभा चुनाव देख चुकी है और हर चुनाव में यहां की जातीय और सामाजिक बुनावट ने नतीजों को गहराई से प्रभावित किया है। यही वजह है कि मीनापुर सीट को सिर्फ एक विधानसभा क्षेत्र नहीं, बल्कि पूरे बिहार की राजनीतिक नब्ज माना जाता है।
चुनावी इतिहास
अगर इसके राजनीतिक इतिहास पर नज़र डालें तो कांग्रेस ने यहां सबसे अधिक चार बार जीत दर्ज की है। आरजेडी, जेडीयू और जनता दल ने दो-दो बार जीत हासिल की है। वहीं भाजपा, सीपीआई और निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी यहां अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। इस लिहाज़ से यह सीट कभी किसी एक दल के वर्चस्व में नहीं रही, बल्कि हर बार बदलते समीकरणों के हिसाब से जनता ने अपना फैसला सुनाया है।
2005 में हिंद केशरी यादव ने जेडीयू से जीत दर्ज की थी, जबकि 2010 में भी जेडीयू के दिनेश प्रसाद ने इस पर कब्जा बनाए रखा और राजद उम्मीदवार मुन्ना यादव को शिकस्त दी। हालांकि, 2015 का चुनाव पूरी तरह से आरजेडी के पक्ष में गया, जब राजीव कुमार उर्फ़ मुन्ना यादव ने भाजपा प्रत्याशी अजय कुमार को 24,210 वोटों के बड़े अंतर से हराकर अपनी ताक़त दिखाई। इस जीत ने मीनापुर में आरजेडी की जड़ें मजबूत कर दीं।
2020 के विधानसभा चुनाव में भी आरजेडी ने यहां अपनी पकड़ साबित की। राजीव कुमार ने जेडीयू प्रत्याशी मनोज कुमार को 15,512 वोटों से हराया। उन्हें कुल 60,018 वोट मिले जबकि जेडीयू उम्मीदवार को 44,506 मत मिले। दिलचस्प बात यह रही कि तीसरे नंबर पर लोजपा के अजय कुमार ने 43,396 वोट लेकर मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया। इस चुनाव ने यह संकेत भी दिया कि मीनापुर में अब सिर्फ आरजेडी और जेडीयू ही नहीं, बल्कि लोजपा भी समीकरण बिगाड़ने की स्थिति में है।
जातीय समीकरण
जातीय आधार पर देखें तो यादव और मुस्लिम मतदाता यहां की राजनीति की धुरी माने जाते हैं। इसके साथ ही कोइरी, पासवान, राजपूत और रविदास जातियों का भी अच्छा-खासा प्रभाव है। यही वजह है कि कोई भी दल बिना इन समुदायों के भरोसे जीत की कल्पना नहीं कर सकता। महिलाओं का मतदान रुझान भी मीनापुर में अहम साबित होता रहा है। 2015 के चुनाव में जहां पुरुष मतदाताओं का प्रतिशत 59.3 था, वहीं महिलाओं का मतदान 70.5 फीसदी तक पहुंच गया था। यह आंकड़ा इस बात की गवाही देता है कि यहां की महिलाएं राजनीतिक भागीदारी में लगातार आगे बढ़ रही हैं।
आने वाले चुनावों में मीनापुर विधानसभा सीट फिर से सुर्खियों में रहने वाली है। यादव-मुस्लिम समीकरण पर आरजेडी की पकड़ मजबूत है, लेकिन भाजपा, जेडीयू और लोजपा के बढ़ते सक्रिय प्रयास यह तय करेंगे कि क्या यह सीट फिर से बदलाव का गवाह बनेगी या आरजेडी का गढ़ बनी रहेगी।






















