भोपाल: मध्य प्रदेश के दमोह जिले में एक फर्जी डॉक्टर द्वारा सर्जरी करने और सात मरीजों की मौत के मामले ने पूरे राज्य में हड़कंप मचा दिया है। इस मामले पर मध्य प्रदेश के मंत्री और दमोह से सांसद प्रहलाद सिंह पटेल ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि यह एक “जघन्य घटना” है और इस पर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। एएनआई को दिए बयान में प्रहलाद सिंह पटेल ने कहा, “यह बहुत जघन्य घटना है… इस पर कठोर कार्रवाई होनी चाहिए। मुझे लगता है कि जिस ढंग से प्रशासन और सरकार ने काम किया है, वो ठीक दिशा में है… इस मामले में कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस मामले को राजनीतिक रंग न दिया जाए और दोषियों को सजा मिले।
दमोह के मिशन हॉस्पिटल में नरेंद्र विक्रमादित्य यादव नामक एक व्यक्ति ने खुद को कार्डियोलॉजिस्ट बताकर कई मरीजों की हृदय संबंधी सर्जरी की। उसने ब्रिटेन के एक मशहूर कार्डियोलॉजिस्ट प्रोफेसर जॉन कैम के नाम का इस्तेमाल कर मरीजों को गुमराह किया। इस फर्जी डॉक्टर की सर्जरी के कारण कम से कम सात मरीजों की मौत हो चुकी है, हालांकि स्थानीय लोगों का दावा है कि मरने वालों की संख्या इससे कहीं ज्यादा हो सकती है।
जांच में पता चला कि नरेंद्र यादव ने लंदन में प्रशिक्षण लेने का झूठा दावा किया था और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर हॉस्पिटल में नौकरी हासिल की थी। दमोह के कलेक्टर सुधीर कोचर ने बताया कि मामले की जांच चल रही है, लेकिन अभी तक मौतों के संबंध में कोई ठोस सबूत नहीं मिला है। वहीं, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के सदस्य प्रियांक कानूनगो ने कहा कि उन्हें इस मामले में शिकायत मिली है और हॉस्पिटल के आयुष्मान भारत योजना से जुड़े होने की भी जांच की जा रही है।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भी इस मामले में सख्त कार्रवाई का भरोसा दिलाया है। 5 अप्रैल 2025 को मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) की रिपोर्ट के आधार पर फर्जी डॉक्टर के खिलाफ FIR दर्ज की गई। जांच में सामने आया कि यादव के पास मध्य प्रदेश में प्रैक्टिस करने का कोई रजिस्ट्रेशन नहीं था और उसके दस्तावेज भी संदिग्ध पाए गए। प्रहलाद सिंह पटेल दमोह लोकसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सांसद हैं।
वे जुलाई 2021 से दिसंबर 2023 तक भारत सरकार में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग और जल शक्ति राज्य मंत्री रह चुके हैं। इस मामले में उनकी सक्रियता और सख्त बयान से साफ है कि वे अपने क्षेत्र में इस गंभीर घटना को लेकर बेहद चिंतित हैं।यह मामला न केवल मध्य प्रदेश बल्कि पूरे देश में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और फर्जी डॉक्टरों की मौजूदगी पर सवाल खड़े कर रहा है। प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा और इस मामले की गहन जांच की जाएगी।