नई दिल्ली: भारत में जल्द ही एक क्रांतिकारी तकनीक, डायरेक्ट-टू-मोबाइल (D2M), लॉन्च होने वाली है, जो बिना सिम कार्ड और इंटरनेट कनेक्शन के मोबाइल फोन पर टीवी चैनल्स देखने की सुविधा प्रदान करेगी। इस तकनीक के रोलआउट की घोषणा के साथ ही तारों और ब्रॉडबैंड की झंझट से छुटकारा मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।
पिछले कई महीनों से चल रही थी चर्चा
पिछले कुछ समय से D2M तकनीक को लेकर भारत में चर्चा जोरों पर थी। अब खबरें आ रही हैं कि इस तकनीक का कॉमर्शियल रोलआउट जल्द शुरू हो सकता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, D2M के लिए पायलट प्रोजेक्ट्स, टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट और डिवाइस कम्पैटिबिलिटी जैसे काम पहले ही पूरे हो चुके हैं। हालांकि, अभी सूचना और प्रसारण मंत्रालय से अंतिम मंजूरी मिलना बाकी है। मंजूरी मिलते ही यह तकनीक देश भर के यूजर्स के लिए उपलब्ध हो सकती है।
क्या है D2M तकनीक?
D2M एक ऐसी तकनीक है जो बिना इंटरनेट के मोबाइल फोन पर टीवी चैनल्स और अन्य मल्टीमीडिया कंटेंट को सीधे प्रसारित करने में सक्षम है। यह तकनीक FM रेडियो और डायरेक्ट-टू-होम (DTH) तकनीक पर आधारित है। इसका मुख्य उद्देश्य नेटवर्क की भीड़ को कम करना और मोबाइल डेटा की खपत में कमी लाना है। खास तौर पर उन क्षेत्रों में यह तकनीक बेहद कारगर साबित होगी जहां ब्रॉडबैंड लाइन बिछाना या मोबाइल नेटवर्क स्थापित करना मुश्किल है, जैसे जंगल या दूरदराज के इलाके।
IIT कानपुर और तेजस नेटवर्क्स की भूमिका
इस तकनीक को सबसे पहले साल 2022 में IIT कानपुर ने विकसित किया था। इसके बाद तेजस नेटवर्क्स ने IIT कानपुर के साथ मिलकर इसे और बेहतर बनाया। देश के कुछ हिस्सों में इस तकनीक का ट्रायल भी किया जा चुका है। इस दौरान 19 शहरों में पायलट प्रोजेक्ट्स चलाए गए, जिनके नतीजे सकारात्मक रहे। D2M तकनीक ATSC 3.0 स्टैंडर्ड्स पर आधारित है, जो मोबाइल डिवाइसेज पर हाई-क्वालिटी प्रसारण सुनिश्चित करती है।
क्या होंगे फायदे?
- बिना इंटरनेट के टीवी चैनल्स: यूजर्स को टीवी चैनल्स देखने के लिए इंटरनेट या सिम कार्ड की जरूरत नहीं होगी।
- डेटा की बचत: मोबाइल डेटा की खपत में कमी आएगी, जिससे नेटवर्क पर दबाव कम होगा।
- दूरदराज के इलाकों में पहुंच: उन क्षेत्रों में भी टीवी और मल्टीमीडिया कंटेंट की पहुंच आसान होगी जहां इंटरनेट कनेक्टिविटी सीमित है।
- आपातकालीन अलर्ट: D2M तकनीक आपातकालीन अलर्ट और आपदा सूचनाओं को प्रसारित करने में भी मददगार होगी, खासकर जब नेटवर्क ठप हो।
- बैटरी की बचत: यह तकनीक स्ट्रीमिंग की तुलना में कम बैटरी खपत करती है।
हालांकि D2M तकनीक के कई फायदे हैं, लेकिन कुछ आलोचनाएं भी सामने आई हैं। मीडियानामा की एक रिपोर्ट के अनुसार, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि जब रिलायंस जियो और एयरटेल जैसे प्रदाताओं ने पहले ही सस्ते डेटा प्लान्स के जरिए स्ट्रीमिंग को आम बना दिया है, तो D2M की जरूरत पर सवाल उठते हैं। COAI (सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया) ने भी इस तकनीक को अनिवार्य करने का विरोध किया है, यह कहते हुए कि इसे वैकल्पिक रखा जाना चाहिए।
D2M तकनीक को ‘मेक इन इंडिया’ और ‘डिजाइन इन इंडिया’ पहल का हिस्सा माना जा रहा है। HMD, तेजस नेटवर्क्स और फ्री स्ट्रीम टेक्नोलॉजीज जैसी कंपनियां मिलकर इस तकनीक को किफायती मोबाइल फोन और टैबलेट्स में शामिल करने की दिशा में काम कर रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह तकनीक सफलतापूर्वक लागू हो जाती है, तो यह भारत में डिजिटल कनेक्टिविटी के क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव ला सकती है।