भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने पुष्टि की है कि दक्षिण-पश्चिम मानसून ने केरल में 24 मई को दस्तक दे दी है, जो पिछले 16 वर्षों में सबसे जल्दी हुई शुरुआत है। इससे पहले 2009 में मानसून ने 23 मई को भारत में कदम रखा था। आमतौर पर मानसून 1 जून के आसपास केरल में पहुंचता है, लेकिन इस बार इसकी अत्यधिक पूर्व शुरुआत मौसम वैज्ञानिकों और कृषि विशेषज्ञों के लिए चर्चा का विषय बन गई है।
जल्दी आगमन का क्या मतलब है?
IMD के वरिष्ठ वैज्ञानिकों के अनुसार, मानसून के जल्दी या देर से पहुंचने का यह अर्थ नहीं है कि वर्षा की मात्रा अधिक या कम होगी। वर्षा की व्यापकता वायुमंडलीय परिस्थितियों, स्थानीय कारकों, और वैश्विक प्रभावों (जैसे अल-नीनो और ला-नीना) पर निर्भर करती है।
पिछले वर्षों में मानसून आगमन की तिथियां इस प्रकार रहीं:
- 2023 – 8 जून
- 2022 – 29 मई
- 2021 – 3 जून
- 2020 – 1 जून
- 2019 – 8 जून
- 2018 – 29 मई
इस तुलना में, 2025 में 24 मई को आगमन एक ऐतिहासिक रिकॉर्ड है।
कहां-कहां हो रही है भारी बारिश?
IMD के मुताबिक, दक्षिण भारत के राज्यों — केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में 25-29 मई तक भारी से अत्यधिक भारी बारिश की संभावना है। इससे खेती-किसानी में राहत मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और ओडिशा में भी मानसून के जून के दूसरे सप्ताह तक पहुंचने का अनुमान है। इससे धान की बुआई, जल स्रोतों की पुनः पूर्ति और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा।