बिहार की राजनीति में सामाजिक न्याय का मुद्दा एक बार फिर उफान पर है। इस बार केंद्र सरकार द्वारा जातिगत जनगणना (Caste Census) कराने के फैसले ने इस बहस को नया जीवन दे दिया है। विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के प्रमुख और पूर्व मंत्री मुकेश सहनी (Mukesh Sahani) ने इस निर्णय को “समाजवादियों और सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ने वालों की जीत” करार दिया है।
Mukesh Sahani का बड़ा बयान: “अब हिस्सेदारी की लड़ाई शुरू”
पटना में मीडिया से बातचीत के दौरान सहनी ने कहा कि जातिगत जनगणना केवल आंकड़ों की प्रक्रिया नहीं, बल्कि सामाजिक क्रांति की नींव है। उन्होंने कहा कि इससे देश की 90% आबादी को उनकी असली हिस्सेदारी दिलाने का रास्ता खुलेगा। उनका कहना था कि अब आगे की लड़ाई “गिनती के बाद हिस्सेदारी” की होगी। यानी, जितनी आबादी– उतनी भागीदारी।
पिछड़ों के लिए आरक्षण की मांग
मुकेश सहनी ने मांग की कि जैसे अनुसूचित जाति और जनजातियों को विधानसभा में आरक्षित सीटें मिली हैं, वैसे ही पिछड़े और अति पिछड़े वर्गों के लिए भी राजनीतिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने कहा, “अब सिर्फ नाम की पहचान नहीं चलेगी, अब हक की हिस्सेदारी चाहिए।”
मुकेश सहनी ने यह भी कहा कि जब तक सरकारें योजनाएं बनाने में जातिगत आंकड़ों का इस्तेमाल नहीं करेंगी, तब तक वास्तविक सामाजिक न्याय नहीं हो सकता। उन्होंने सुझाव दिया कि शिक्षा, रोजगार और कल्याण योजनाएं जाति-आधारित जनगणना के डेटा पर आधारित हों, तभी लाभ वंचितों तक पहुंचेगा।