Mukesh Sahani: बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर जारी चर्चा अब नए मोड़ पर पहुंच गई है। विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के अध्यक्ष मुकेश सहनी, जो पहले 60 सीटों पर चुनाव लड़ने की मांग कर रहे थे, अब 14 से 44 सीटों के बीच समझौते की बात कर रहे हैं। सहनी के इस बयान को राजनीतिक विश्लेषक उनके घटते राजनीतिक वोल्टेज के रूप में देख रहे हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी दोहराया है कि चाहे 14 सीट मिले या 44, अगली सरकार में मल्लाह का बेटा डिप्टी सीएम जरूर बनेगा।
मुकेश सहनी ने मीडिया से बात करते हुए दावा किया कि महागठबंधन में सीट बंटवारे का 90 फीसदी काम पूरा हो चुका है और बाकी 10 फीसदी पर सहमति जल्द बन जाएगी। उन्होंने कहा कि सीटों की घोषणा कल या परसों तक कर दी जाएगी। जब उनसे पूछा गया कि क्या वह सिर्फ 14 सीटों पर मान जाएंगे, तो उन्होंने जवाब दिया कि 14 मिले या 44, यह तो प्रेस कॉन्फ्रेंस में बता देंगे। इस बयान ने यह साफ कर दिया कि वीआईपी अब पहले की तुलना में काफी रक्षात्मक स्थिति में है।
माना जा रहा है कि 2020 के विधानसभा चुनाव के बाद से मुकेश सहनी की राजनीतिक स्थिति कमजोर हुई है। तब वे एनडीए के साथ थे और चार सीटों पर जीत हासिल की थी। बाद में उन्होंने महागठबंधन का दामन थाम लिया, लेकिन 2024 लोकसभा चुनाव में कोई खास असर नहीं दिखा सके। यही वजह है कि इस बार महागठबंधन में उनकी सीटों की दावेदारी कमजोर पड़ती नजर आ रही है।
फिर भी सहनी ने अपनी बात में आत्मविश्वास बनाए रखा। उन्होंने कहा कि महागठबंधन एकजुट है, तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री बनेंगे और मल्लाह का बेटा डिप्टी सीएम बनेगा। उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि अब तो भाजपा भी मान चुकी है कि बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने जा रही है। जहां मल्लाह रहेगा, वहीं सरकार बनेगी।
सियासी जानकारों का कहना है कि सहनी का डिप्टी सीएम वाला बयान राजनीतिक दबाव बनाने का तरीका है। वे यह संदेश देना चाहते हैं कि भले सीटें कम हों, लेकिन उनकी भूमिका गठबंधन में अहम रहेगी। हालांकि, महागठबंधन के अन्य सहयोगियों- राजद, कांग्रेस और वामदलों के भीतर यह चर्चा है कि वीआईपी की राजनीतिक उपयोगिता अब सीमित हो चुकी है।
सहनी की पार्टी का जनाधार सीमित भले हो, लेकिन मल्लाह समुदाय में उनकी पकड़ अब भी प्रभावशाली है। यही वजह है कि तेजस्वी यादव उन्हें पूरी तरह नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते। सीटों की संख्या चाहे जो भी तय हो, सहनी की भूमिका इस चुनाव में प्रतीकात्मक जरूर होगी लेकिन राजनीतिक रूप से चर्चित भी।






















