Bihar Politics: विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रमुख और बिहार के पूर्व मंत्री मुकेश सहनी ने रविवार को महागठबंधन की संयुक्त प्रेस वार्ता में राज्य में चल रहे मतदाता पुनरीक्षण (वोटर वेरिफिकेशन) अभियान पर कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने चुनाव आयोग से इस प्रक्रिया को तुरंत रोकने की मांग की और इसे “वोटबंदी” करार देते हुए आम जनता के लिए परेशानियों का कारण बताया।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में सहनी ने कहा, “हमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से कोई उम्मीद नहीं है, लेकिन उनके सहयोगी दलों से जरूर अपेक्षा है कि वे इस मतदाता परीक्षण का विरोध करें। जिस तरह नोटबंदी के समय पूरे देश की जनता परेशान हुई थी, उसी तरह इस बार वोटबंदी से बिहार की जनता प्रभावित हो रही है।”
उन्होंने मतदाता परीक्षण की टाइमिंग पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि यह काम लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद या आगामी विधानसभा चुनाव के बाद भी किया जा सकता था। “आखिर विधानसभा चुनाव से ठीक पहले इसकी जरूरत क्यों पड़ी?” उन्होंने पूछा।
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सहनी ने यह भी आरोप लगाया कि मतदाता सूची से नाम हटाने की रणनीति के तहत यह अभियान चलाया जा रहा है। “बिहार एक जागरूक राज्य है, लेकिन यहां के लोगों को सूची से बाहर करने की कोशिश हो रही है। बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) खुद परेशान हैं। फॉर्म जमा करने वालों को पावती नहीं मिल रही,” उन्होंने कहा।
अपने निजी अनुभव को साझा करते हुए सहनी ने बताया कि वे पटना में मौजूद रहते हुए भी उनका पेपर पहले ही जमा कर दिया गया। “जब मेरे साथ ऐसा हो सकता है, तो आम लोगों के साथ क्या हो रहा होगा, इसका अंदाज़ा लगाना मुश्किल नहीं है,” उन्होंने कहा। वीआईपी प्रमुख ने चुनाव आयोग से अपील की कि इस प्रक्रिया को तत्काल रोका जाए और इसे पारदर्शी एवं उचित समय पर फिर से शुरू किया जाए, ताकि लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन न हो और जनता को अनावश्यक परेशानियों का सामना न करना पड़े।