मुंबई महानगरपालिका (Mumbai BMC) के चुनाव जैसे-जैसे करीब आते जा रहे हैं, महाविकास आघाड़ी (MVA) की राजनीति में उबाल तेज होता दिख रहा है। कांग्रेस द्वारा बीएमसी चुनाव अपने दम पर लड़ने के ऐलान ने शिवसेना (यूबीटी) को खुलकर सवाल उठाने का मौका दे दिया है। शिवसेना के मुखपत्र सामना के ताज़ा संपादकीय में कांग्रेस की रणनीति, उसके आत्मविश्वास और गठबंधन में पैदा हो रहे असंतोष पर तीखी टिप्पणी की गई है, जो आगामी चुनावी परिदृश्य को और भी दिलचस्प बना रहा है।
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सामना ने कांग्रेस के ‘स्वबल’ वाले बयान को बढ़ा हुआ आत्मविश्वास बताते हुए लिखा कि बिहार में मिली करारी हार के बावजूद कांग्रेस का यह दावा हैरान करता है। शिवसेना (यूबीटी) ने कहा कि अगर कांग्रेस वास्तव में इतनी मजबूत महसूस कर रही है, तो इस आत्मविश्वास का स्वागत है, लेकिन मुंबई जैसे जटिल सामाजिक-राजनीतिक समीकरण वाले चुनाव में अकेले उतरना कितना व्यावहारिक है, यह गंभीर प्रश्न है।
यूबीटी के अनुसार कांग्रेस का यह दावा कि शिवसेना और मनसे की नजदीकी उससे उत्तर भारतीय और मुस्लिम वोट दूर कर देगी, तथ्य आधारित नहीं है। संपादकीय में कहा गया कि जब बिहार में न शिवसेना थी, न मनसे—फिर भी कांग्रेस मतदाताओं को साधने में पूरी तरह नाकाम क्यों रही? यह संकेत दिया गया कि कांग्रेस को हर चुनावी पराजय का दोष दूसरों पर मढ़ने की बजाय स्थानीय मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए।
















