नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया है। 23 अप्रैल 2025 को हुए इस हमले में 26 पर्यटकों की मौत हो गई थी, जिसे भारतीय प्रशासन ने पिछले 25 सालों में सबसे घातक आतंकी हमला करार दिया है। इस हमले के बाद अब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए एक नया टारगेट सेट कर दिया है, जिससे दोनों देशों के बीच सैन्य टकराव की आशंका बढ़ गई है।
पाकिस्तान की भूमिका पर सवाल, मुनीर पर दबाव भारतीय अधिकारियों ने इस हमले में पाकिस्तान की भूमिका की ओर इशारा किया है। जांच में खुलासा हुआ है कि हमले में शामिल आतंकवादी हाशिम मूसा, जो पाकिस्तान की स्पेशल सर्विस ग्रुप (SSG) का पूर्व कमांडो है, ने इस हमले को अंजाम दिया। इसके अलावा, 15 ओवरग्राउंड वर्कर्स (OGWs) की पूछताछ में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI की संलिप्तता के सबूत मिले हैं। इस बीच, पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर पर दबाव बढ़ता जा रहा है। भारत की सख्त प्रतिक्रिया की आशंका के बीच मुनीर को अपनी घरेलू अस्थिरता से ध्यान हटाने के लिए सीमित युद्ध का जोखिम उठाना पड़ सकता है।
मोदी का सख्त रुख, ‘बदला’ की तैयारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमले के बाद शीर्ष रक्षा अधिकारियों के साथ बैठक की और उन्हें “पूर्ण ऑपरेशनल स्वतंत्रता” दे दी है, ताकि हमले का जवाब देने के लिए समय, स्थान और तरीके का चुनाव किया जा सके। अल जज़ीरा की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय सुरक्षा बलों ने पहलगाम में बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान शुरू कर दिया है, जिसमें हमलावरों की लोकेशन को सीमित क्षेत्र तक ट्रैक कर लिया गया है। इस बीच, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी पीएम मोदी से इस हमले पर कड़ा कदम उठाने की मांग की है।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया पाकिस्तान ने हमले की निंदा तो की है, लेकिन उसकी ओर से ठोस कार्रवाई की कोई बात सामने नहीं आई है। पाकिस्तानी सूचना मंत्री अताउल्लाह तरार ने दावा किया कि उनके पास खुफिया जानकारी है कि भारत अगले 24-36 घंटों में सैन्य कार्रवाई कर सकता है। इस बीच, पाकिस्तान के सैन्य प्रतिष्ठान पर घरेलू स्तर पर भी दबाव बढ़ रहा है, और जनरल मुनीर की लोकप्रियता में कमी देखी जा रही है।
पहलगाम हमले ने एक बार फिर भारत-पाकिस्तान संबंधों को तनावपूर्ण मोड़ पर ला दिया है। भारत की ओर से सैन्य या कूटनीतिक कार्रवाई की संभावना से दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस घटना के बाद क्षेत्रीय स्थिरता पर गहरा असर पड़ सकता है, और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजरें अब दोनों देशों की अगली चाल पर टिकी हैं।