मुर्शिदाबाद : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को मुर्शिदाबाद जिले में हिंसा से प्रभावित लोगों से मुलाकात की। यह हिंसा अप्रैल 2025 में वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों के दौरान भड़की थी, जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई थी और 150 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया था।
ममता बनर्जी ने इस दौरान केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा एक सुनियोजित सांप्रदायिक दंगा थी, और अगर इसमें बांग्लादेश से जुड़े तत्व शामिल पाए जाते हैं, तो इसके लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार होगी। सीमा की सुरक्षा बीएसएफ और केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है, न कि राज्य सरकार की।”
मुख्यमंत्री ने प्रभावित लोगों को भरोसा दिलाया कि राज्य सरकार उनके साथ खड़ी है। उन्होंने बंगलर बारी योजना के तहत नए घर बनाने और दुकानदारों को हुए नुकसान की भरपाई करने की घोषणा की। इस हिंसा के कारण 400 से अधिक हिंदू परिवार धूलियन, सुती और शमशेरगंज जैसे क्षेत्रों से विस्थापित होकर मालदा जिले में शरण लेने को मजबूर हुए थे।
बीजेपी और टीएमसी में तीखी तकरार
बीजेपी ने इस मामले में ममता सरकार पर नाकामी का आरोप लगाया है। बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारीे ने दावा किया कि टीएमसी की “तुष्टिकरण की राजनीति” ने कट्टरपंथी तत्वों को बढ़ावा दिया है। वहीं, बीजेपी के अमित मालवीय ने कहा कि पश्चिम बंगाल पुलिस का मनोबल गिर गया है और दंगों के दौरान पुलिस ने बीएसएफ के आने तक प्रभावित क्षेत्रों में प्रवेश करने से इनकार कर दिया था।
दूसरी ओर, टीएमसी सांसद सौगत रॉय ने ममता का बचाव करते हुए कहा, “लोग वक्फ संशोधन बिल से नाराज हैं। यह हिंसा जनता की स्वाभाविक प्रतिक्रिया थी। बीजेपी यहां अपनी राजनीति चमकाने की कोशिश कर रही है, लेकिन बंगाल की जनता उनके बहकावे में नहीं आएगी।”
हिंसा का पृष्ठभूमि
मुर्शिदाबाद में अप्रैल 2025 की शुरुआत में वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ प्रदर्शन हिंसक हो गए थे। प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रीय राजमार्ग 12 को अवरुद्ध कर दिया और निमतिता रेलवे स्टेशन पर ट्रेन सेवाएं बाधित कर दीं। इस दौरान वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया और पुलिस के साथ झड़पें हुईं। हिंसा के बाद क्षेत्र में तनाव को देखते हुए बीएसएफ को तैनात किया गया था।
केंद्र और राज्य के बीच बढ़ता विवाद
ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार से सवाल किया कि वक्फ (संशोधन) अधिनियम को लागू करने में इतनी जल्दबाजी क्यों की गई। उन्होंने कहा, “क्या केंद्र को बांग्लादेश की स्थिति की जानकारी नहीं थी? अगर देशहित में है, तो बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के सलाहकार मोहम्मद यूनुस से गुप्त बैठकें करें, लेकिन ऐसी नीतियां न बनाएं जो ध्रुवीकरण को बढ़ावा दें।”
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस ने भी मई 2025 में केंद्रीय गृह मंत्रालय को एक रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें मुर्शिदाबाद में बढ़ते कट्टरपंथ और सांप्रदायिक अस्थिरता पर चिंता जताई गई थी। इस घटना ने एक बार फिर केंद्र और राज्य सरकार के बीच तनाव को उजागर कर दिया है।