Muzaffarpur Vidhansabha 2025: मुजफ्फरपुर विधानसभा सीट (निर्वाचन क्षेत्र संख्या 94) बिहार की राजनीति में हमेशा से सुर्खियों में रही है। यह सीट सिर्फ मुजफ्फरपुर जिले की पहचान नहीं बल्कि राज्यस्तरीय राजनीति में भी अपनी खास जगह रखती है। 1952 में जब पहली बार चुनाव हुए, तब प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के महामाया प्रसाद सिन्हा ने जीत दर्ज की थी। इसके बाद से अब तक इस सीट पर कांग्रेस, सीपीआई, जनता दल, राजद, भाजपा और निर्दलीय उम्मीदवारों ने सत्ता में अपनी भागीदारी दर्ज कराई है।
चुनावी इतिहास
1952 से लेकर 1990 तक इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा। रघुनाथ पांडेय जैसे नेताओं ने लगातार जीतकर कांग्रेस को मजबूती दी। लेकिन 1990 के बाद से कांग्रेस इस सीट पर लगातार पिछड़ती गई। हालांकि 2020 का चुनाव कांग्रेस के लिए ऐतिहासिक साबित हुआ, जब बिजेंद्र चौधरी ने भाजपा के कद्दावर नेता सुरेश कुमार शर्मा को 6326 वोटों से हराकर पार्टी को लंबे अंतराल के बाद जीत दिलाई।
साल 1995 और 2000 में जनता दल और राष्ट्रीय जनता दल ने इस सीट पर कब्जा जमाया। इसके बाद भाजपा के सुरेश कुमार शर्मा ने 2010 और 2015 के चुनावों में जीत दर्ज कर सीट पर भगवा लहराई। मगर 2020 में कांग्रेस ने भाजपा से सीट छीनकर अपने पुराने जनाधार को मजबूत करने की कोशिश की।
जातीय समीकरण
जातीय समीकरण की बात करें तो मुजफ्फरपुर विधानसभा क्षेत्र में यादव, भूमिहार, सवर्ण, मुस्लिम, कोइरी और पासवान समुदाय की राजनीतिक सक्रियता बेहद अहम है। यादव मतदाता परंपरागत रूप से राजद के साथ खड़े रहते हैं, जबकि भूमिहार और सवर्ण वोट भाजपा और जदयू के पक्ष में माने जाते हैं। मुस्लिम समुदाय का झुकाव महागठबंधन की ओर ज्यादा दिखाई देता है। वहीं, कोइरी और पासवान वोटर भी चुनावी गणित को प्रभावित करने की ताकत रखते हैं।
Kudhani Vidhan Sabha 2025: बदलते समीकरण और 2025 चुनाव की चुनौती
2011 की जनगणना के मुताबिक यहां की कुल जनसंख्या 4,16,026 है, जिसमें 88.36 प्रतिशत आबादी शहरी है और 11.64 प्रतिशत ग्रामीण। अनुसूचित जाति की हिस्सेदारी 9.47% है, जबकि अनुसूचित जनजाति का अनुपात 0.29% है। 2019 की मतदाता सूची के अनुसार इस विधानसभा क्षेत्र में 3,12,296 पंजीकृत मतदाता हैं।
स्पष्ट है कि मुजफ्फरपुर विधानसभा सिर्फ विकास के मुद्दों पर नहीं बल्कि जातीय समीकरण और पार्टी रणनीतियों पर भी निर्णायक रूप से निर्भर करती है। आने वाले चुनाव में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या कांग्रेस अपने जनाधार को और मजबूत कर पाती है या भाजपा इस सीट पर फिर से वापसी करती है।






















