बिहार की राजनीति में बुधवार का दिन कई महत्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी बना, जब राज्य विधानसभा में नरेंद्र नारायण यादव (Narendra Narayan Yadav) को निर्विरोध उपाध्यक्ष चुना गया। विधानसभा सत्र के दौरान हुई घोषणा के बाद उन्होंने औपचारिक रूप से पदभार ग्रहण किया। इस निर्विरोध निर्वाचन ने सदन में एक व्यापक राजनीतिक सहमति का संदेश दिया है, जो आने वाले दिनों में विधायी प्रक्रियाओं के सुचारू संचालन की उम्मीद को मजबूत करता है।
नरेंद्र नारायण यादव लंबे समय से राज्य की राजनीतिक धारा में सक्रिय और अनुभवी नेता माने जाते हैं। उपाध्यक्ष के रूप में अब उनकी भूमिका अध्यक्ष की अनुपस्थिति में सदन की कार्यवाही को निष्पक्ष, संतुलित और संवैधानिक दायरे में संचालित करने की होगी।
विधानसभा पहुंचे नीतीश कुमार.. मीडिया से बोले- आप लोग कैसे हैं? ठीक हैं ना?
राजनीतिक दृष्टि से यह चयन उस समय हुआ है जब राज्य में सत्ता और विपक्ष दोनों अपने-अपने मोर्चों को मजबूत बनाने में जुटे हैं। इसी क्रम में बिहार विधानपरिषद में भी महत्वपूर्ण बदलाव हुए, जहां सभापति अवधेश नारायण सिंह ने पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ राजद नेता राबड़ी देवी को नेता विरोधी दल की आधिकारिक मान्यता प्रदान की। साथ ही अब्दुल बारी सिद्दीकी को विरोधी दल के मुख्य सचेतक की जिम्मेदारी सौंपी गई। इससे स्पष्ट है कि विधानमंडल के दोनों सदनों में विपक्ष ने अपनी संरचना को मजबूत कर दिया है।






















