आज से नए संसद भवन में कामकाज की शुरुआत हो गई है। संसद के इस विशेष सत्र को और विशेष बनाने के लिए एक बड़ा ऐलान सरकार की तरफ से कर दिया गया है। आज संसद में महिला आरक्षण बिल पेश हुआ। हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बिल को नया नाम ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ दिया। अपने संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने इसका जिक्र किया। इसके बाद कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने इस बिल को लोकसभा में पेश किया।
नारी शक्ति वंदन अधिनियम से मजबूत होगा लोकतंत्र
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन में संबोधन के दौरान कहा कि बीते दिन को केंद्रीय कैबिनेट में इस अधिनियम को पारित कर दिया गया है। इसका उद्देश्य लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं की भागीदारी को विस्तार देना है। नारी शक्ति वंदन अधिनियम के माध्यम से हमारा लोकतंत्र और मजबूत होगा। मैं देश की माताओं, बहनों और बेटियों को नारी शक्ति वंदन अधिनियम के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं। मैं सभी माताओं, बहनों, बेटियों को आश्वस्त करता हूं कि हम इस विधेयक को अमल में लाने के लिए संकल्पित हैं।
2010 में राज्यसभा में पास हुआ बिल हुआ लैप्स
कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने आज लोकसभा में नारी शक्ति वंदन अधिनियम पेश किया। उन्होंने बताया कि देवगोड़ा सरकार यानि 11वीं लोकसभा में पहली बार महिला आरक्षण बिल को पेश किया गया था। इसके बाद 1999 में अटल सरकार यानि 13 वीं लोकसभा में भी इस बिल को पेश किया गया था। लेकिन ये बिल पारित नहीं हुआ। मनमोहन सिंह की सरकार ने राज्यसभा में 2008 में इस बिल को पेश किया गया वहां से स्टैंडिंग कमेटी में भेज दिया गया। 2010 में मनमोहन सरकार ने राज्यसभा में इस बिल को पास करा लिया। लेकिन 2014 में 15 वीं लोकसभा भंग होने के साथ ही ये बिल लैप्स कर गया।
लोकसभा में 181 सीट महिलाओं के लिए आरक्षित
कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने बिल पेश करते हुए कहा कि दिल्ली विधानसभा में और लोकसभा में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि 33 प्रतिशत आरक्षण मतलब लोकसभा में 181 सीट महिलाओं के लिए आरक्षित होगा। फिलहाल लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या 82 है। उन्होंने कहा कि शुरुआत के 15 वर्ष ये अधिनियम लागू रहेगा उसके बाद सदन इसपर विचार कर सकता है।