रविवार की शाम नरेंद्र मोदी तीसरी बार पीएम पद की शपथ लेंगे। इस बार भाजपा के पास पूर्ण बहुमत नहीं है वह गठबंधन के बहुमत के साथ सरकार बना रही है। कहा जा रहा है कि मोदी के साथ 30 मंत्री शपथ ले सकते हैं, इसमें सबसे ज्यादा जगह बिहार को मिल सकती है। समारोह में शामिल होने के लिए भारत के 7 पड़ोसी देशों के लीडर्स को न्योता दिया गया है।
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इन देशों के लीडर्स होंगे शामिल
शपथ ग्रहण के लिए महमानों के आने का सिलसिला शुरू हो चुका है। रविवार सुबह मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू पहली बार भारत पहुंचे। उनके ठीक बाद मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जुगनॉथ भी दिल्ली आए। वहीं बांग्लादेश की PM शेख हसीना एक दिन पहले ही शनिवार दोपहर ही भारत आ गई थीं। इनके अलावा इस समारोह में श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे, नेपाल के PM प्रचंड, भूटान के PM शेरिंग तोबगे और सेशेल्स के उपराष्ट्रपति अहमद अफीफ शामिल होंगे।
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‘नेबरहुड फर्स्ट’ पॉलिसी के तहत बुलाए गए विदेशी मेहमान
भारत की ‘नेबरहुड फर्स्ट’ पॉलिसी और ‘सागर’ मिशन के तहत इन देशों को समारोह में बुलाया गया है। विदेशी मेहमानों के ठहरने की व्यवस्था दिल्ली के सबसे बड़े होटलों में की गई है। इनमें ITC मौर्या, ताज होटल, ओबेरॉय, क्लैरिजेस और लीला होटल शामिल हैं। इनकी सुरक्षा के लिए पैरामिलिट्री और दिल्ली की आर्म्ड पुलिस (DAP) के 2500 जवानों को तैनात किया गया है। ‘नेबरहुड फर्स्ट’ पॉलिसी भारत की विदेश नीति का मूल हिस्सा है। ORF की रिपोर्ट के मुताबिक, नेबरहुड फर्स्ट अप्रोच का मकसद इंडियन सबकॉन्टीनेंट में स्थिरता और विकास को बढ़ावा देना है। विदेश मामलों के विशेषज्ञों के मुताबिक, क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के मकसद से भी इस पॉलिसी की शुरुआत की गई थी।इसी पॉलिसी के तहत भारत ने साल 2022 में आर्थिक तंगी से जूझ रहे श्रीलंका की मदद की गई थी, भारत ने बांग्लादेश को 188 करोड़ और नेपाल को 79 करोड़ की वैक्सीन दी थी। ‘नेबरहुड फर्स्ट’ पॉलिसी का खाका 2008 में तैयार किया गया था। 2014 में सत्ता में आने से पहले ही मोदी ने कहा था कि वे पड़ोसी देशों को अपनी विदेश नीति में सबसे ऊपर रखेंगे। नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी का मकसद भारत के पड़ोसी देशों के साथ फिजिकल, डिजिटल, ट्रेड रिलेशन्स और लोगों से लोगों के जुड़ाव को मजबूत करना है।