अग्निपथ योजना के तहत भर्ती प्रक्रिया अपनी घोषणा के साथ ही विवादों में है। पहले इसको लेकर पूरे देश में प्रदर्शन हुए। प्रदर्शनों में हिंसा खतरनाक स्तर तक पहुंची। अब भर्ती प्रक्रिया के फॉर्म में जाति के कॉलम पर नेतागिरी चालू है। विपक्ष के अपने आरोप हैं, सत्तापक्ष की अपनी सफाई है। इस बीच मीडिया रिपोर्ट्स में स्पष्ट किया गया है कि सेना की भर्ती में पहले से भी उम्मीदवारों से जाति प्रमाण पत्र मांगा जाता रहा है। सेना का कहना है कि ट्रेनिंग के दौरान मरने वाले रंगरूटों और सर्विस में शहीद होने वाले सैनिकों का धार्मिक अनुष्ठानों के तहत अंतिम संस्कार किया जाता है। ऐसे में उनके धर्म की जानकारी की जरूरत पड़ती है।
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तेजस्वी-संजय-उपेंद्र के सवाल
दरअसल, अग्निपथ योजना में जाति के कॉलम पर तीन नेताओं ने हमला बोला है। बिहार में तेजस्वी यादव ने इस कॉलम को जाति आधारित छंटनी का टूल बताया है। जबकि आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने सीधे PM नरेंद्र मोदी से पूछा है कि आप जवानों को अग्निवीर बनाना चाहते हैं या जातिवीर। विपक्ष के अलावा सत्ता में भागीदार जदयू की ओर से उपेंद्र कुशवाहा ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से स्पष्टीकरण मांगा है।
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अब BJP का पलटवार
सवाल भले ही संसद और विधानमंडल के सदस्यों ने पूछा हो, भाजपा की ओर से पहली प्रतिक्रिया आई है सोशल मीडिया हेड अमित मालवीय की। अमित ने कहा है कि हर चीज के लिए PM Modi को दोष देने की सनक का मतलब है कि संजय सिंह जैसे लोग हर दिन अपने पैर को मुंह में डालते हैं। साथ ही मालवीय ने सेना के एक एफिडेविट का हवाला देते हुए बताया है कि सुप्रीम कोर्ट में सेना ने 2013 में स्पष्ट किया है कि सेना की बहाली जाति, क्षेत्र और धर्म के आधार पर नहीं होती है।