लोकसभा में मोदी सरकार के खिलाफ आए अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दूसरे दिन सदन में खूब बयानबाजी हुई। चर्चा के दौरान अलग अलग नेताओं ने कई ऐसे वक्तव्य दिए, जिसने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा। निलंबन वापसी के बाद राहुल गांधी पहली बार सदन को संबोधित करने वाले थे, तो सबके जेहन में यही था कि राहुल गांधी आखिर क्या बोलेंगे। तो दूसरी ओर चर्चा का सेकेंड प्वाइंट यह भी था कि राहुल के वार पर भाजपा की स्ट्रेटजी क्या होगी और पलटवार में क्या कहा जाएगा। बुधवार को चर्चा की शुरुआत ही राहुल गांधी से हुई और उन्होंने 36 मिनट तक अपना भाषण दिया। उसके बाद जवाब के लिए मोदी सरकार की मंत्री स्मृति ईरानी आईं। बाद में जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह एक बार फिर फॉर्म में आए। तो पूर्व केंद्रीय मंत्री रामकृपाल ने तो लालू-तेजस्वी को भी खींच दिया। आखिर में आए गृह मंत्री अमित शाह, जिन्होंने विपक्ष को तरह तरह से घेरा।
भारत जोड़ो यात्रा का बखान और मणिपुर पर वार
राहुल गांधी ने अपने भाषण की शुरुआत अपने भारत जोड़ो यात्रा के बखान से शुरू की। राहुल गांधी ने कुल 36 मिनट तक भाषण दिया। इसमें उन्होंने भारत जोड़ो यात्रा के अपने अनुभवों के बारे में बताया। अपने घुटने का दर्द, यात्रा को लेकर उनकी सोच और यात्रा के बाद उनके व्यक्तित्व में आए बदलाव के बारे में बोलने के बाद राहुल गांधी मणिपुर के मुद्दे पर आए। मणिपुर के मुद्दे पर राहुल गांधी ने कहा कि वहां जब तक हिंसा होती रहेगी, तब तक उन्हें यही महसूस होगा कि उनकी मां की हत्या हो रही है। क्योंकि मणिपुर में भारत मां की हत्या हो रही है। राहुल गांधी के ऐसे तेवर पर स्पीकर ओम बिड़ला ने उन्हें टोका भी और भाषा संयमित रखने की सलाह दी। इसके बाद राहुल गांधी ने मणिपुर की अपनी यात्रा के बारे में भी सदन को बताया। आखिर में उन्होंने फ्लाइंग किस उछाल दिया, जिस पर बवाल हो गया। दरअसल, राहुल गांधी ने 2018 में मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान आए अविश्वास प्रस्ताव पर आंख मारी थी। इस बार फ्लाइंग किस उछाल दिया। यही नहीं अपना भाषण समाप्त करते राहुल गांधी तेजी से संसद से निकले और राजस्थान चले गए, जहां उन्हें एक चुनावी कार्यक्रम में हिस्सा लेना था।
स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को घेरा
लोकसभा में राहुल गांधी के तुरंत बाद बोलने उठी स्मृति ईरानी के निशाने पर सबसे अधिक राहुल गांधी ही रहे। वैसे भी स्मृति और राहुल की अदावत पुरानी है। अमेठी सीट पर 2014 में राहुल ने स्मृति को हराया था, तो 2019 में स्मृति ने राहुल को हरा दिया। राहुल के भाषण का रेफरेंस देते हुए स्मृति ने कहा कि मणिपुर खंडित नहीं, भारत का अभिन्न अंग है। मणिपुर न खंडित है, न था और न होगा। लेकिन ‘भारत माता की हत्या पर संसद में ताली क्यों बज रही हैं? कांग्रेसियों ने मां की हत्या के लिए मेज थपथपाई। स्मृति ईरानी ने आरोप लगाया कि अपना भाषण खत्म कर संसद से बाहर जाते समय राहुल गांधी ने महिला सांसदों को लक्ष्य करके फ्लाइंग किस के इशारे किए। उन्होंने कहा कि “मुझ से पहले जिनको यहां बोलने का मौका मिला, उन्होंने आज असभ्यता का परिचय दिया है। उन्होंने अपना भाषण खत्म करने के बाद अभद्र व्यवहार किया। उन्होंने उस संसद में फ्लाइंग किस उछाला जिस संसद में महिला भी बैठी हुई हैं। ऐसा व्यवहार सिर्फ एक स्त्री द्वेषी (Misogynist Man) व्यक्ति ही कर सकता है।”
ललन पूछ बैठे निशिकांत का सवाल
मानसून सत्र के दौरान “हट, धत्त, चुप, बैठ” जैसे भाषणों से सुर्खियां बटोर चुके जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह बुधवार को भी खुलकर बरसे। दरअसल, अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के पहले दिन भाजपा सांसद निशिकांत दूबे ने यह कह दिया कि जदयू को सबसे अधिक फंड उपलब्ध कराने वालों में वो शामिल रहे हैं। साथ ही नीतीश कुमार को सीएम बनवाने में भी उनका प्रयास महत्वपूर्ण रहा था। निशिकांत दूबे के बयान पर जब जदयू सांसदों ने हल्ला शुरू किया तो उन्होंने कह दिया था कि जाकर अपने सीएम नीतीश कुमार से पूछ लीजिएगा। बुधवार को ललन सिंह ने निशिकांत दूबे से यही सवाल किया कि वे सदन को बताएं कि उन्होंने किससे फंड दिलवाया था। ललन ने अमित शाह को भी घेरा। उन्होंने कहा कि “2022 में 9 अगस्त को जबसे महागठबंधन हुआ है कि तब से इन सबको खुजली हो गई है। 2015 के चुनाव में गृहमंत्री अमित शाह ने बिहार में तीन महीना कैंप किया था। प्रधानमंत्री मोदी ने एक राज्य के चुनाव में रिकॉर्ड 43 जनसभा किए थे। लेकिन बीजेपी को सीट आया 52। ललन ने कहा कि “जब लालू यादव के परिवार पर छापा मारा तो 2017 में हमारा गठबंधन टूट गया। 2017 से 2022 तक कुछ नहीं हुआ, इनके तीनों पालतू तोते शांत हो गए। लेकिन जैसे ही 2022 में हमारा फिर से गठबंधन हुआ तीनों तोता फिर से चालू हो गए। अब तीनों तोता लगातार दौरा कर रहे हैं, छापा मार रहे हैं। छापा मारते रहो, बिहार का 40 में 40 सीट हारोगे।”
रामकृपाल ने किसी को नहीं बख्शा
सत्र के दौरान भाजपा सांसद रामकृपाल यादव ने मोदी सरकार का गुणगान करते हुए विपक्ष पर चौतरफा हमला बोला। रामकृपाल यादव ने जदयू सांसदों पर तंज कसते हुए कहा कि – “अरे ललन जी ने डांट के भगा दिया। जाओ नहीं तो नौकरी खत्म हो जाएगी। ये सब नौकरी करने वाले लोग हैं। अपना कोई अस्तित्व है क्या। ये इशारे पर चलने वाले लोग हैं। ये डांट खाने वाले लोग हैं। ये गुलाम लोग हैं।” इसके बाद जदयू सांसदों ने हल्ला शुरू कर दिया। सभापति से इसकी शिकायत की गई कि उन्हें गुलाम कहा गया है। किसी सांसद ने कहा कि रामकृपाल खुद लालू यादव के गुलाम थे। सभापति के हस्तक्षेप से हल्ला शांत हुआ और तब रामकृपाल यादव का भाषण आगे बढ़ सका। अपने भाषण के दौरान रामकृपाल यादव ने लालू परिवार पर भी हमला किया। उन्होंने तेजस्वी यादव का बिना नाम लिए कहा कि पहली कैबिनेट में दस लाख नौकरी देने वाले का पेन खो गया है क्या कि नौकरी नहीं दे पा रहे हैं। लंबे समय तक लालू प्रसाद यादव के साथ रहे रामकृपाल यादव ने कहा कि वो सामाजिक न्याय वाले लालू यादव के साथ थे जो जब पारिवारिक न्याय वाले हो गए तो साथ छोड़ दिया।
शाह ने नेहरु-‘गांधी’ सब पर किए वार
अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दूसरे दिन का आखिरी भाषण गृह मंत्री अमित शाह ने दिया। अपने 2 घंटे 5 मिनट के भाषण में अमित शाह ने विपक्ष पर तरह तरह के वार किए। नेहरु काल से लेकर इंदिरा गांधी से होते हुए अन्य सभी गैर भाजपा की सरकारों के दौरान हुई हिंसक घटनाओं का जिक्र अमित शाह ने किया। अमित शाह ने विपक्षी गठबंधन का नाम बदलने का कारण भी अपनी ओर से बताया। उन्होंने कहा कि यूपीए ने इतने घोटाले किए हैं, कि उन्हें अब नए नाम की जरुरत पड़ी है। उन्होंने राहुल गांधी पर मणिपुर दौरे के दौरान राजनीति करने का भी आरोप लगाया।
अमित शाह के भाषण के मुख्य प्वाइंट्स
- राहुल गांधी मणिपुर गए थे। उन्होंने कहा चुराचांदपुर जाना है। सेना ने कहा- हेलिकॉप्टर से जाइए। वे नहीं माने। तीन घंटे ऑनलाइन आकर नाटक किया, फिर अगले दिन हेलिकॉप्टर से ही गए। पहले दिन ही वे हेलिकॉप्टर से जा सकते थे, लेकिन उन्हें राजनीति करनी थी। मणिपुर में जो हुआ शर्मनाक है। उस पर राजनीति करना, उससे भी ज्यादा शर्मनाक है।
- विपक्ष कह रहा है कि एनडीए मणिपुर पर चर्चा नहीं चाहती, जबकि हमने तो इस पर चर्चा के लिए स्पीकर को लिखा था। विपक्ष चर्चा नहीं चाहता, वे सिर्फ विरोध करना चाहते हैं।
- 1993 में पीवी नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री थे। मणिपुर में कांग्रेस के ही मुख्यमंत्री थे। उस समय नगा-कुकी संघर्ष हुआ। 700 लोग मारे गए। तब भी प्रधानमंत्री वहां नहीं गए थे। मैं नाम बोलना नहीं चाहता। गृह मंत्रालय के रिकॉर्ड में शामिल है कि कौन इसमें शामिल है। 2004 में मनमोहन सिंह की सरकार थी, तब वहां 1700 से ज्यादा लोगों के एनकाउंटर हुए।
- मणिपुर के हालात पर हम लगातार काम करते रहे। कई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की। वहां के अफसर बदले। DGP बदला, चीफ सेक्रेटरी बदला, लेकिन सीएम ने हमें सहयोग किया। इसलिए वहां राष्ट्रपति शासन नहीं लगाया। राष्ट्रपति शासन तब लगता है, जब राज्य सरकार सहयोग न करे।