दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी है। जमानत मिलने के बाद अब केजरीवाल वापस अपनी कुर्सी संभाल लेंगे। लेकिन सरकारी दस्तावेजों पर वे दस्तखत नहीं करेंगे। अपने केस के बारे में मीडिया से बात भी नहीं करेंगे। इसके साथ और भी शर्तें हैं, जो सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल पर लगाई हैं। लेकिन कुलमिलाकर एक स्थिति यह है कि अब अरविंद केजरीवाल जेल से बाहर आ जाएंगे। केजरीवाल का जेल से बाहर आना भाजपा के लिए अच्छी खबर और कांग्रेस के लिए मुश्किल वाला साबित हो सकता है। वैसे अभी तो भाजपा के नेता अरविंद केजरीवाल पर हमलावर हैं लेकिन राजनीतिक स्थिति यह है कि भाजपा के नेता मन ही मन खुश हो रहे होंगे।
दरअसल, अरविंद केजरीवाल की रिहाई ऐसे समय में हुई जब हरियाणा विधानसभा चुनाव एकदम करीब है। अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी हरियाणा विधानसभा चुनाव पूरे दमखम के साथ लड़ रही है और आगे आने वाले वक्त में दिल्ली में भी विधानसभा चुनाव होना है। पहले हरियाणा चुनाव के लिए आप और कांग्रेस के बीच गठबंधन की बात चली। दोनों दलों ने लोकसभा चुनाव साथ लड़ा और भाजपा को 5 सीटों पर हरवा दिया। लेकिन विधानसभा चुनाव में दोनों साथ नहीं उतरे। कांग्रेस ने आप के साथ गठबंधन नहीं किया और नतीजा यह हुआ कि हरियाणा में भाजपा के खिलाफ कांग्रेस और आम आदमी पार्टी अपनी पूरी ताकत से लड़ेंगे। ऐसे में भाजपा के भाजपा विरोधी वोटों का बिखराव बेहतर राजनीतिक संकेत हो सकता है।
दूसरी ओर जब कांग्रेस ने हरियाणा में आम आदमी पार्टी से गठबंधन नहीं किया तो दिल्ली की सत्ता में पिछले दो चुनाव जीतने वाले केजरीवाल दिल्ली के चुनाव में कांग्रेस से गठबंधन करेंगे, इसकी संभावना कम है। ऐसे में भाजपा के लिए हरियाणा और दिल्ली दोनों के चुनावों में भाजपा विरोधी वोटों के बिखरने की संभावना रहेगी।