ओडिशा ट्रेन हादसे की असली वजह का पता चल गया है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम में आई गड़बड़ी के कारण ओडिशा के बालासोर में रेल हादसा हुआ है। रेल मंत्री ने बताया, ‘रेलवे सुरक्षा आयुक्त ने ट्रेन हादसे की जांच पूरी कर ली है। प्रमुख कारण की पहचान कर ली गई है। इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग में बदलाव के कारण यह हादसा हुआ।’ रेल मंत्री ने कहा कि हादसे के लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान भी कर ली गई है।
इंटरलॉकिंग कैसे काम करता है?
रेलवे स्टेशन के पास यार्डों में कई लाइनें होती हैं। इन लाइनों को आपस में जोड़ने के लिए पॉइंट्स होते हैं। इन पॉइंट्स को चलाने के लिए हर पॉइंट पर एक मोटर लगी होती है। वहीं, सिग्नल की बात करें तो सिग्नल द्वारा लोको पायलट को यह अनुमति दी जाती है कि वह अपनी ट्रेन के साथ रेलवे स्टेशन के यार्ड में प्रवेश करे। अब पॉइंट्स और सिग्नलों के बीच में एक लॉकिंग होती है। लॉकिंग इस तरह होती है कि पॉइंट सेट होने के बाद जिस लाइन का रूट सेट हुआ हो, उसी लाइन के लिए सिग्नल आए। इसे सिग्नल इंटरलॉकिंग कहते हैं। इंटरलॉकिंग ट्रेन की सुरक्षा सुनिश्चित करती है। इंटरलॉकिंग का मतलब है कि अगर लूप लाइन सेट है, तो लोको पायलट को मेन लाइन का सिग्नल नहीं जाएगा। वहीं, मेन लाइन सेट है, तो लूप लाइन का सिग्नल नहीं जाएगा।
कोरोमंडल एक्सप्रेस मेन लाइन से लूप लाइन पर चली गई
ओडिशा रेल दुर्घटना में कोरोमंडल एक्सप्रेस मेन लाइन से लूप लाइन पर चली गई थी। यह ट्रेन बाहानगा बाजार स्टेशन से थोड़ा सा पहले लूप लाइन पर चली गई थी, जहां पहले से ही मालगाड़ी खड़ी थी। इसी मालगाड़ी से कोरोमंडल एक्सप्रेस टकरा गई। इससे ट्रेन के कुछ डिब्बे दूसरी लाइन पर गिर गए थे। इसी दौरान बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस डाउन मेन लाइन से जा रही थी, जिसकी टक्कर इन डिब्बों से हो गई और यह बड़ा हादसा हो गया।