पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट से ममता सरकार को बड़ा झटका दिया है। दरअसल कलकत्ता हाईकोर्ट ने 48 घंटे के अंदर हर एक जिले में केंद्रीय सुरक्षा बलों को तैनात करने का आदेश दिया था। जिसके खिलाफ ममता सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सुप्रीम कोर्ट में सख्त टिप्पणी करते हुए हाईकोर्ट के फैसले को बरकररा रखा है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि चुनाव कराना, हिंसा कराने का लाइसेंस नहीं है।
हाईकोर्ट का फैसला बरकरार
दरअसल पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव को लेकर जमकर हिंसा हो रही है। जिसके बाद मामला हाईकोर्ट में पहुंचा। 15 जून को हाईकोर्ट ने प्रत्येक जिले में 48 घंटे में केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती का आदेश दिया था। इसी फैले के खिलाफ ममता सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। राज्य सरकार के वकील ने दलील देते हुए कहा कि 8 जुलाई को चुनाव होना है। और आज (20 जून) नाम वापस लेने की अंतिम तारीख है, 189 सेंसिटिव बूथ हैं। हम सुरक्षा को लेकर पूरी तरह से तैयार हैं। दोनों पक्षों को सुनने एक बाद सुप्रीम कोर्ट ने आज हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखने का आदेश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट की तल्ख़ टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए तल्ख़ टिप्पणी भी किया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कलकत्ता हाईकोर्ट ने ये आदेश इसलिए दिया क्योंकि 2013 और 2018 के चुनाव में हिंसा का पुराना इतिहास रहा है। हिंसा के माहौल मे चुनाव नहीं कराया जा सकता। चुनाव निष्पक्ष और स्वतंत्र होना चाहिए। अगर लोगों को इस बात की भी आजादी नहीं है कि वो नामंकन पत्र दाखिल कर पाएं, उनकी हत्या हो रही है तो फिर स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की बात का सवाल ही नहीं उठता।