आईएएस की बात आने पर बिहार की चर्चा होती है। इस बार के यूपीएससी रिजल्ट में भी बिहारी अभ्यर्थियों ने झंडा लहराया है। मगर, देश में आईएएस की कमी में भी बिहार सबसे आगे है। यहां अलग-अलग विभागों में जरूरत के मुकाबले 43 प्रतिशत आईएएस कम हैं। यह इनकी कमी का राष्ट्रीय औसत 22 प्रतिशत है। बिहार में एक आईएएस को कई प्रभार मिले हैं।
गैर कैडर अधिकारियों की करनी पड़ रही नियुक्ति
आईएएस की कमी होने की वजह से गैर कैडर के अधिकारियों की नियुक्ति बिहार में करनी पड़ रही है। संसद की एक स्थायी समिति ने आईएएस की बढ़ती जरूरतों को ध्यान में रखकर कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग से सिफारिश की है कि वह आईएएस अधिकारियों की वार्षिक संख्या बढ़ाए। इस समिति ने सिविल सेवा परीक्षा से हर साल और अधिक आईएएस अधिकारियों की भर्ती हो सके। उसके लिए उपयुक्त समाधान खोजने के लिए एक समिति का गठन करने के लिए कहा है।
बिहार में 359 पद स्वीकृत, 157 रिक्त
बिहार में आईएएस के 359 पद स्वीकृत हैं। इनमें से 157 पद खाली हैं। 202 पदों पर अधिकारी काम कर रहे हैं। आईएएस की कमी के चलने एक दर्जन से अधिक आईएएस अधिकारियों को कई विभागों की जिम्मेदारी मिली हुई है। फिलहाल सूबे में काम कर रहे 202 अधिकारियों में मुख्य सचिव स्तर के 11 आईएएस कार्यरत हैं।
प्रोन्नति वाले पद भी खाली
बिहार सरकार ने केंद्र से बिहार के लिए और अधिक आईएएस का कोटा तय करने का आग्रह किया है। सूबे में बिहार प्रशासनिक सेवा से आईएएस कैडर में प्रोन्नति के लिए 101 पद स्वीकृत हैं। इनमें 70 प्रतिशत पद खाली हैं।