बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर की 100वीं जयंती बुधवार को मनाई जाएगी। इस अवसर पर बिहार के विभिन्न राजनीतिक दल अपनी ताकत दिखाने की कोशिश करेंगे।
पिछड़े वर्गों के वोट बैंक पर कब्जा करने के लिए जेडीयू, आरजेडी और बीजेपी के अलावा उपेंद्र कुशवाहा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय लोक जनता दल भी पूरी तैयारी में है। इन दलों ने जयंती समारोह के लिए अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित किए हैं।
हालांकि, भाजपा ने जयंती समारोह की पूर्व संध्या पर ही एक बड़ा दांव खेल दिया है। केंद्र सरकार ने कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की घोषणा कर दी है। इससे इन दलों के मंसूबों पर पानी फिर गया है।
कर्पूरी ठाकुर बिहार के लिए एक लोकप्रिय और सम्मानित नेता थे। वे दो बार बिहार के मुख्यमंत्री रहे। उन्होंने अपने कार्यकाल में पिछड़े वर्गों के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं लागू कीं। कर्पूरी ठाकुर की सादगी और ईमानदारी को आज भी लोग याद करते हैं। वे भ्रष्टाचार के सख्त विरोधी थे।
कर्पूरी ठाकुर के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता
कर्पूरी ठाकुर का जन्म 1924 में बिहार के समस्तीपुर जिले के पितौंझिया गांव में हुआ था। वे नाई जाति से थे। कर्पूरी ठाकुर ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1952 में विधायक के रूप में की थी। वे लगातार 1952 से 1977 तक बिहार विधानसभा के सदस्य रहे।
1970 में वे पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने। हालांकि, उनकी सरकार ज्यादा दिनों तक नहीं चल पाई। 1977 में जनता पार्टी की जीत के बाद वे दूसरी बार बिहार के मुख्यमंत्री बने। उनका दूसरा कार्यकाल 1979 तक रहा। कर्पूरी ठाकुर का निधन 17 फरवरी, 1988 को हुआ। उन्हें बिहार के सबसे लोकप्रिय और सम्मानित नेताओं में से एक माना जाता है।
कर्पूरी ठाकुर ने अपने कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण कल्याणकारी योजनाएं लागू कीं। इनमें से प्रमुख हैं:
- सरकारी नौकरियों में पिछड़ों के लिए आरक्षण
- गन्ना किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य
- गरीबों के लिए मुफ्त राशन
कर्पूरी ठाकुर के बेटे को राज्यसभा भेजा गया
नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने कर्पूरी ठाकुर के बेटे रामनाथ ठाकुर को राज्यसभा भेजा है। यह कदम बिहार में राजनीतिक दलों के बीच कर्पूरी ठाकुर के नाम पर होने वाले सियासी घमासान को दर्शाता है।
कर्पूरी ठाकुर अगर जीवित रहते तो शायद ही बेटे को राजनीति में आने देते। इसलिए कि शुरू से ही वे इसके विरोधी रहे। भ्रष्टाचार के वे सख्त विरोधी थे। यह अलग बात है कि आज जिन नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं, वे ही अपने को उनका सच्चा अनुयायी साबित करने के प्रयास में जुटे हुए हैं।