दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह मंगलवार (17 दिसंबर, 2024) को राज्यसभा में संविधान और आरक्षण पर भाषण दिया। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस और विपक्ष के नेताओं पर जमकर निशाना साधा। अमित शाह ने कहा कि अभी एक फैशन हो गया है, आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर…, इतना नाम अगर भगवान का लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिलता। इसको लेकर आज कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी सहित विपक्षी सांसदों ने अमित शाह के भाषण के खिलाफ संसद परिसर में विरोध प्रदर्शन किया। सांसदों का आरोप है कि केंद्रीय गृह मंत्री ने कल अपने भाषण में डॉ. बीआर अंबेडकर का अपमान किया।
वहीं राज्यसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के भाषण के खिलाफ विपक्ष के विरोध पर सांसद और आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चन्द्रशेखर आजाद ने कहा कि बहुत सारी पार्टियों ने जब ‘जय भीम’ के नारे लगाए तो दिल में खुशी हुई। हालांकि ये भी सच है कि बहुत सारी पार्टियों के बीच ‘जय भीम’ एक दिखावा है क्योंकि जब उनकी सरकारों में बाबा साहेब अंबेडकर के कदमों पर चलने का मौका मिलता है तो वहां वे चुप हो जाते हैं।
उन्होंने कहा कि कल राज्यसभा में गृह मंत्री ने जो बयान दिया है वो चिंता का विषय है हालांकि उनका ये बयान पूर्णतया कांग्रेस पर हमला था लेकिन उन्होंने जिस तरह के शब्दों का प्रयोग किया उससे गहरी चिंता है। किसी को मजबूरी में तो किसी को जरूरत में बाबा साहेब अंबेडकर का नाम लेना ही पड़ता है। अहंकार बहुत अच्छा नहीं होता है। न सदा कांग्रेस सत्ता में रही और न ही भाजपा सदा सत्ता में रहेगी। ये बयान शर्मनाक है लेकिन जो इस बयान के खिलाफ नारे लगा रहे हैं, मेरा उनसे भी अनुरोध है कि जहां आपकी सरकार है वहां बाबा साहेब अंबेडकर के विचारों के आधार पर सरकार चलाएं।
‘आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर… इतना नाम अगर भगवान का लेते… अमित शाह के इस बयान पर भड़के तेजस्वी यादव
इससे पहले उन्होंने एक्स पर लिखा- गृह मंत्री अमित शाह का बयान परम पूज्य बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर जी के ऐतिहासिक योगदान और सामाजिक न्याय के लिए उनके संघर्ष का अपमान है। परम पूज्य बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर जी नाम लेना कोई “फ़ैशन” नहीं, बल्कि समानता, स्वतंत्रता और सामाजिक परिवर्तन की उस क्रांति का प्रतीक है, जिसने करोड़ों दबे-कुचले लोगों को न्याय और अधिकार दिलाए। अंबेडकर को भगवान के नाम से तुलना करना उनकी विचारधारा की गहराई और संविधान निर्माण में उनके योगदान को कमतर आंकने का प्रयास है। यह न केवल असंवेदनशीलता, बल्कि सामाजिक एकता और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति अनादर का परिचायक है। ये अक्षम्य है, भारत रत्न बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर जी को मानने वाले इस अपमान का बदला जरूर लेंगे मेरी बात को याद रखना।