नरेंद्र मोदी सरकार ने देश के सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ का ऐलान एक बार फिर किया है। बता दें कि अब तक 5 शख्सियतों को भारत रत्न देने की घोषणा हो चुकी है। इस लिस्ट में देश के 2 पूर्व प्रधानमंत्री हैं, देश के ही 1 पूर्व डिप्टी पीएम, 1 बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और 1 कृषि वैज्ञानिक है।
केंद्र सरकार ने जहाँ पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह और पीवी नरसिम्हा राव को सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न‘ देने का ऐलान किया है। इसके अलावे हरित क्रांति के जनक वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन को भी भारत रत्न देने का एलान किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘एक्स’ पर इसका ऐलान किया। प्रधानमंत्री मोदी एक के बाद एक तीन ट्वीट कर के तीनों हस्तियों के बारे में लिखते हुए उन्हें यह सम्मान देने की घोषणा की।
इससे पहले मोदी सरकार ने भारत के पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी एवं बिहार के पूर्व सीएम कर्पूरी ठाकुर को भी भारत रत्न देने का ऐलान किया था।
कौन थे भारत के पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव और चौधरी चरण सिंह ? साथ ही जानते हैं भारत के महान कृषि वैज्ञानिक एम एस स्वामीनाथन के बारे में –
पी० वी० नरसिम्हा राव
पामुलापति वेंकट नरसिंह राव (जन्म- 28 जून 1921, मृत्यु- 23 दिसम्बर 2004) भारत के 9 वें प्रधानमंत्री के रूप में जाने जाते हैं। ‘लाइसेंस राज’ की समाप्ति और भारतीय अर्थनीति में खुलेपन उनके प्रधानमंत्रित्व काल में ही आरम्भ हुआ। ये आन्ध्रा प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे। पीवी नरसिंह राव ने देश की कमान काफी मुश्किल समय में संभाली थी। उस समय भारत का विदेशी मुद्रा भंडार चिंताजनक स्तर तक कम हो गया था और देश का सोना तक गिरवी रखना पड़ा था। उन्होंने रिजर्व बैंक के अनुभवी गवर्नर डॉ. मनमोहन सिंह को वित्तमंत्री बनाकर देश को आर्थिक भंवर से बाहर निकाला। वर्ष 2024 में भारत सरकार ने उनके योगदान के लिए उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया|
चौधरी चरण सिंह
चौधरी चरण सिंह (23 दिसंबर 1902 – 29 मई 1987) वह भारत के किसान राजनेता एवं पाँचवें प्रधानमंत्री थे। उन्होंने यह पद 28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक संभाला। चौधरी चरण सिंह ने अपना संपूर्ण जीवन भारतीयता और ग्रामीण परिवेश की मर्यादा में जिया।वो किसानों के नेता माने जाते रहे हैं। उनके द्वारा तैयार किया गया जमींदारी उन्मूलन विधेयक राज्य के कल्याणकारी सिद्धांत पर आधारित था। एक जुलाई 1952 को यूपी में उनके बदौलत जमींदारी प्रथा का उन्मूलन हुआ और गरीबों को अधिकार मिला। उन्होंने लेखापाल के पद का सृजन भी किया। किसानों के हित में उन्होंने 1954 में उत्तर प्रदेश भूमि संरक्षण कानून को पारित कराया। वो 3 अप्रैल 1967 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। 17 अप्रैल 1968 को उन्होंने मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया। मध्यावधि चुनाव में उन्होंने अच्छी सफलता मिली और दुबारा 17 फ़रवरी 1970 के वे मुख्यमंत्री बने। उसके बाद वो केन्द्र सरकार में गृहमंत्री बने तो उन्होंने मंडल और अल्पसंख्यक आयोग की स्थापना की। 1979 में वित्त मंत्री और उपप्रधानमंत्री के रूप में राष्ट्रीय कृषि व ग्रामीण विकास बैंक [नाबार्ड] की स्थापना की। 28 जुलाई 1979 को चौधरी चरण सिंह समाजवादी पार्टियों तथा कांग्रेस (यू) के सहयोग से प्रधानमंत्री बने।
एम० एस० स्वामीनाथन
मनकोम्बु संबासिवन स्वामिनाथन (जन्म: 7 अगस्त 1925- 28 सितंबर 2023) ) भारत के आनुवंशिक वैज्ञानिक थे, जिन्हें भारत की हरित क्रांति का जनक माना जाता है। उन्होंने 1966 में मैक्सिको के बीजों को पंजाब की घरेलू किस्मों के साथ मिश्रित करके उच्च उत्पादकता वाले गेहूं के संकर बीज विकिसित किए। उन्हें विज्ञान एवं अभियांत्रिकी के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा सन 1972 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। ‘हरित क्रांति’ ने भारत को दुनिया में खाद्यान्न की सर्वाधिक कमी वाले देश के कलंक से उबारकर 25 वर्ष से कम समय में आत्मनिर्भर बना दिया था। उस समय से भारत के कृषि पुनर्जागरण ने स्वामीनाथन को ‘कृषि क्रांति आंदोलन’ के वैज्ञानिक नेता के रूप में ख्याति दिलाई। उनके द्वारा सदाबाहर क्रांति की ओर उन्मुख अवलंबनीय कृषि की वकालत ने उन्हें अवलंबनीय खाद्य सुरक्षा के क्षेत्र में विश्व नेता का दर्जा दिलाया। एम. एस. स्वामीनाथन को ‘विज्ञान एवं अभियांत्रिकी’ के क्षेत्र में ‘भारत सरकार’ द्वारा सन 1967 में ‘पद्म श्री’, 1972 में ‘पद्म भूषण’ और 1989 में ‘पद्म विभूषण’ से सम्मानित किया गया था।