2023 के फैसले के अनुसार केंद्र सरकार को चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से अलग रखा जाए, इस मामले को लेकर कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। दरअसल CEC 2023 का मामला सुप्रीम कोर्ट में अभी लंबित है। इस कानून के तहत केंद्र सरकार से एक मंत्री और लोकसभा में विपक्ष के नेता के साथ मिलकर प्रधानमंत्री चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करते हैं। विशेष बात यह है कि इस एक्ट के तहत CJI को इस नियुक्ति प्रक्रिया से अलग रखा गया है और इस बात को लेकर विवाद भी हुआ था, हालांकि पिछले साल 2023 मे इस एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाने से इनकार कर दिया था।
बता दें कि कुछ दिन पहले चुनाव आयुक्त अरुण गोयल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इससे पहले एक अन्य चुनाव आयुक्त अरूप चंद्रा भी रिटायर हो चुके हैं जिनका कार्यकाल इस वर्ष के फरवरी माह में समाप्त हो चुका था।
पिछले साल मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति वाला बिल राज्यसभा से पास होते ही विपक्ष की ओर से विरोध के स्वर फूटने लगे। सबने एक सुर में सरकार के सामने असंतुष्टता जाहिर की। कहा कि यह बिल केंद्र सरकार को चुनाव आयोग की सीधे कमान दे देगा। चुनाव आयोग सरकार की कठपुतली बन जाएगा। हालांकि सरकार इस बात से इत्तेफाक नहीं रखती।