तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा (Dalai Lama) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बिहार के राजगीर में नए नालंदा विश्वविद्यालय के परिसर के उद्घाटन की खुशी में पत्र लिखा है। दलाई लामा ने चिट्ठी में लिखा, “शिक्षा के केंद्रो के रूप में मूल नालंदा विश्वविद्यालयपूर्व में सूर्य की तरह चमकता था। कठोर अध्ययन, चर्चा और वाद-विवाद पर आधारित शिक्षा नालंदा में फली-फूली, जिसने एशिया भर से दूर-दूर के छात्रों को आकर्षित किया। छात्रों ने दर्शन, विज्ञान, गणित और चिकित्सा के अलावा अहिंसा और करुणा की सदियों पुरानी भारतीय परंपराओं के बारे में सीखा, जो आज की दुनिया में न केवल प्रासंगिक है बल्कि आवश्यक भी।”
उन्होंने आगे लिखा कि इन सकारात्मक गुणों के अलावा, नालंदा में छात्रों ने मन और भावनाओं के कामकाज की गहन समझ विकसित की। दलाई लामा ने लिखा, ‘मैं भारत भर में और दूर-दूर तक के युवाओं में प्राचीन भारतीय ज्ञान और बुद्धिमत्ता में बढ़ती रुचि से उत्साहित हूं। इसमें एक अधिक दयालु दुनिया के निर्माण में योगदान करने की बहुत बड़ी क्षमता है। चूंकि मैं प्राचीन भारतीय ज्ञान में अधिक रुचि और जागरूकता पैदा करने के लिए प्रतिबद्ध हूं, इसलिए यह अद्भुत है कि इस ऐतिहासिक स्थान पर एक नया नालंदा विश्वविद्यालय स्थापित किया गया है। मैं कामना करता हूं कि यह समृद्ध और समृद्ध हो।’
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बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 जून को राजगीर में भारत के 1600 साल पुराने नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का उद्घाटन किया। नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना 450 ई. में गुप्त सम्राट कुमार गुप्त प्रथम ने की थी। बाद में इसे हर्षवर्धन और पाल शासकों का भी संरक्षण मिला। विशेषज्ञों के अनुसार, 12वीं शताब्दी में आक्रमणकारियों ने इस विश्वविद्यालयों को नष्ट कर दिया था। इससे पहले करीबन 800 सालों तक इन प्राचीन विद्यालय में पढ़ाई हुई है।