लोकसभा चुनाव से पहले पक्ष और विपक्ष के साथ सरकारी एजेंसियां भी एक्शन में हैं। एक ओर एनडीए और विपक्षी दल अपने अपने सहयोगियों के साथ बैठक की तैयारी में हैं। तो दूसरी ओर तमिलनाडु में ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में द्रमुक नेता और तमिलनाडु के उच्च शिक्षा मंत्री के पोनमुडी और उनके सांसद बेटे गौतम सिगामणि पर छापेमारी की है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार चेन्नई और विल्लुपुरम में यह छापेमारी हुई है। आरोप है कि खदान लाइसेंस की शर्तों का उल्लंघन हुआ है। यह मामला 2007 से 2011 के बीच का है जब पोनमुडी राज्य के खनन मंत्री थे। आरोप है कि सरकारी खजाने को लगभग 28 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था।
राहुल गांधी के साथ सोनिया भी पहुंची
ईडी की कार्रवाई इन दिनों तमिलनाडु में तेज है। ईडी ने कुछ दिन पहले ही में वरिष्ठ द्रमुक नेता और टीएन परिवहन मंत्री सेंथिल बालाजी पर भी छापेमारी की थी। सरकारी एजेंसियों की ऐसी कार्रवाई भी विपक्षी दलों की आंखों की किरकिरी बनी हुई है। राजद सुप्रीमो लालू यादव ने इस कार्रवाई के खिलाफ ट्वीट भी किया है। वहीं दूसरी ओर पटना के बाद बेंगलुरु में विपक्षी दलों की दूसरी संयुक्त बैठक हो रही है। 23 जून को पटना में हुई बैठक में 15 दलों के नेता पहुंचे थे। अब दावा है कि बेंगलुरु की बैठक में 26 दलों के नेता पहुंचेंगे। इसमें राहुल गांधी के साथ सोनिया गांधी भी शामिल होंगी, जो पिछली बैठक में नहीं थीं।
मंगलवार को होगी बैठक
बेंगलुरु में विपक्षी दलों की साझा बैठक मंगलवार, 18 जुलाई को होगी। सोनिया गांधी का यहां पहुंचना खास रहा है। सोनिया गांधी के चुनावी राजनीति की शुरुआत का गढ़ कर्नाटक भी रहा है। 1999 में सोनिया गांधी ने यूपी की रायबरेली सीट के साथ कर्नाटक की बेल्लारी सीट से भी चुनाव लड़ा था। बताया जा रहा है कि 2024 में मोदी सरकार को हटाने की ख्वाहिश लेकर बेंगलुरु पहुंची सोनिया गांधी ने सोमवार, 17 जुलाई को उन नेताओं को डिनर पर आमंत्रित किया है, जो बेंगलुरु पहुंच चुके हैं। इस बैठक में शामिल होने के लिए नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव भी पहुंच चुके हैं। साथ ही ममता बनर्जी भी बैठक में शामिल होंगी। वहीं शरद पवार और सुप्रिया सुले भी बैठक का हिस्सा होंगे।
तीन मुद्दों पर चर्चा
विपक्षी दलों की पिछली बैठक में किसी ठोस निर्णय पर बात नहीं हुई थी। तब सिर्फ यह संकल्प लिया गया था कि सभी दल साथ मिलकर 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। लेकिन बेंगलुरु की बैठक में बड़े निर्णय हो सकते हैं। बताया जा रहा है कि बेंगलुरु की बैठक में मुख्य रूप से तीन मुद्दों पर चर्चा होगी। इसमें लोकसभा चुनाव में विपक्ष की एकजुटता, सीट शेयरिंग और गठबंधन के नए नाम पर फैसला हो सकता है। विपक्षी दलों के सामने वैसे तो मोदी सरकार को घेरने के लिए कई मुद्दे हैं। लेकिन संभावना है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड, मणिपुर हिंसा जैसे मुद्दों के जरिए सरकार को घेरने का प्लान बनेगा। साथ ही आने वाले 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव की स्ट्रेटजी पर भी चर्चा हो सकती है। वहीं भाजपा की पार्टियों को तोड़ने की स्ट्रेटजी और उसके संभावित जवाबी कार्रवाई पर भी चर्चा होगी।
बड़ा हुआ विपक्षी कुनबा
पटना में हुई बैठक के बाद विपक्षी दलों को दोतरफा झटका लगा था। इसमें पहले दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने दिल्ली को लेकर केंद्र सरकार के हालिया अध्यादेश के खिलाफ कांग्रेस का समर्थन नहीं मिलने पर नाराजगी जताई थी। इसके बाद शरद पवार की पार्टी अजित पवार के नेतृत्व में टूट गई। दिल्ली के अध्यादेश वाले मुद्दे को तो कांग्रेस ने सुलझा दिया और केजरीवाल मान गए हैं। लेकिन शरद पवार अपनी आधी हुई ताकत ही अभी विपक्षी दलों को दे पाएंगे। इसके बावजूद विपक्षी दलों का कुनबा बड़ा हुआ है। मरूमलारची द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (MDMK), कोंगु देसा मक्कल काची (KDMK), विदुथलाई चिरुथिगल काची (VCK), रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (RSP), ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML), केरल कांग्रेस (जोसेफ) और केरल कांग्रेस (मणि) जैसे नए दलों ने विपक्ष के छाते में हाने की सहमति दे दी है। इनमें KDMK और MDMK 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान BJP के साथ थीं।
एनडीए की भी बैठक
एक ओर विपक्षी दलों का कुनबा बढ़ा है तो सत्तासीन एनडीए ने भी अपनी ताकत बढ़ाते हुए शक्ति प्रदर्शन के लिए 18 जुलाई का ही दिन तय किया है। एनडीए की बैठक दिल्ली के अशोका होटल में होगी, जिसकी अध्यक्षता नरेंद्र मोदी करेंगे। एनडीए की इस बैठक में कई नए चेहरे दिखेंगे, जिसमें चिराग पासवान, अजित पवार, उपेंद्र कुशवाहा, ओमप्रकाश राजभर जैसे नाम शामिल हैं। भले ही इस बैठक में न हो लेकिन देर-सबेर एचडी कुमारस्वामी की जेडीएस और चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी के भी एनडीए में शामिल होने की ही संभावना अब तक दिख रही है।
चार दलों ने बनाई है दोनों से दूरी
दिल्ली और बेंगलुरु 18 जुलाई को भारतीय राजनीति के दो धुरों के फॉर्मेट में दिख सकते हैं। लेकिन इन दोनों धुरों से अलग एक तीसरा मोर्चा भी है, जो इन दोनों के साथ नहीं है। इसमें यूपी की पूर्व सीएम मायावती की पार्टी BSP, तेलंगाना के सीएम KCR की पार्टी BRS के अलावा आंध्रप्रदेश की सत्ता में बैठी वाईएसआर कांग्रेस और ओडिशा में नवीन पटनायक की पार्टी BJD ने साफ कर दिया है कि वे दोनों गठबंधनों का हिस्सा नहीं हैं।