दिल्ली में समाप्त की जा चुकी शराब नीति से सरकार को 2000 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हुआ है। यह खुलासा नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की एक लीक हुई रिपोर्ट में हुआ है। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली शराब नीति के लागू होने के दौरान नीतिगत खामियों और नियमों के उल्लंघन के कारण यह भारी आर्थिक क्षति हुई।
AAP नेताओं को रिश्वत से फायदा मिलने का आरोप
सीएजी रिपोर्ट में दावा किया गया है कि यह शराब नीति अपने निर्धारित लक्ष्यों को हासिल करने में विफल रही। रिपोर्ट में यह भी आरोप है कि आम आदमी पार्टी (AAP) के नेताओं को इस नीति के तहत कथित रिश्वत से लाभ हुआ। रिपोर्ट में कहा गया है कि नीति बनाने के लिए गठित विशेषज्ञ पैनल की सिफारिशों को तत्कालीन उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के नेतृत्व वाले मंत्रियों के समूह (GoM) ने नजरअंदाज कर दिया।
नीतिगत खामियां और नियमों का उल्लंघन
सीएजी रिपोर्ट में लाइसेंस जारी करने से लेकर नीतिगत निर्णयों में भारी अनियमितताओं की बात कही गई है। रिपोर्ट में आरोप है कि वित्तीय स्थिति की सही जांच किए बिना कंपनियों को बोली लगाने की अनुमति दी गई। घाटे में चल रही कंपनियों को भी बोली में भाग लेने और उनके लाइसेंस को रिन्यू करने की छूट दी गई।
कानूनी प्रक्रिया का उल्लंघन
रिपोर्ट के अनुसार, नीति से जुड़े महत्वपूर्ण फैसले बिना कैबिनेट और उपराज्यपाल की मंजूरी के लिए गए। नीति में किए गए नए नियमों को विधानसभा में पेश नहीं किया गया, जो आधिकारिक प्रक्रिया के खिलाफ था। इसके अलावा, नियमों का उल्लंघन करने वाली कंपनियों पर जानबूझकर कार्रवाई नहीं की गई।
भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग की जांच
नवंबर 2021 में पेश की गई इस शराब नीति का उद्देश्य दिल्ली में शराब की खुदरा बिक्री को पुनर्जीवित कर सरकारी राजस्व में इजाफा करना था। लेकिन भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों के चलते इस नीति की ईडी और सीबीआई ने जांच शुरू की। इस मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, और संजय सिंह समेत आप पार्टी के कई शीर्ष नेताओं को गिरफ्तार किया गया था। हालांकि, उन्हें बाद में जमानत मिल गई थी।