बिहार सरकार में कुछ विभाग ऐसे हैं कि जिनपर सीएम नीतीश कुमार का एकाधिकार शुरू से कायम है। इनमें सामान्य प्रशासन और गृह विभाग सबसे महत्वपूर्ण है। नीतीश कुमार ने सीएम रहते हुए इन विभागों को हमेशा अपने पास ही रखा है। लेकिन देश की आंतरिक सुरक्षा को लेकर हुई केंद्रीय गृह मंत्रालय की बैठक में सीएम नीतीश कुमार नहीं शामिल हुए। दो दिनों के इस चिंतन शिविर में उग्रवाद, आतंकवाद, नार्कोटिक्स, साइबर अपराध समेत कई मुद्दों पर चर्चा हुई। ये मुद्दे बिहार के लिए भी उतने ही रेलेवेंट हैं, जितने दूसरे राज्यों के लिए।
आतंकी घटनाएं बिहार में भी होने ही लगी हैं। उग्रवाद तो बिहार का पुराना दर्द है। यहां के साइबर अपराधियों के चपेटे में तो DGP तक घिर जाते हैं। लेकिन इस बैठक में सीएम नीतीश कुमार नहीं गए हैं। चर्चा यह हो रही है कि भाजपा से खटास के कारण वे अमित शाह की अध्यक्षता वाली बैठक में शामिल नहीं हुए। लेकिन प्रत्यक्ष कारण यही है कि संभवत: पिछले दिनों चोट के कारण घायल सीएम नीतीश इस शिविर में शामिल नहीं हुए हैं।
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पांच राज्यों के सीएम नहीं पहुंचे
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में हो रही इस बैठक में केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन, पंजाब के सीएम भगवंत मान, उत्तर प्रदेश सीएम योगी आदित्यनाथ, असम सीएम हिमंत बिस्वा सरमा, गोवा सीएम प्रमोद सावंत, उत्तराखंड मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, सिक्किम के सीएम प्रेम सिंह तमांग आदि मौजूद रहे। लेकिन पांच राज्यों के सीएम इस बैठक में शामिल नहीं हुए। इन राज्यों से सीएम के प्रतिनिधियों ने ही इस शिविर में हिस्सा लिया।
शामिल नहीं होने वालों में सभी गैर भाजपा शासित प्रदेश
जिन पांच राज्यों के सीएम इस बैठक में शामिल नहीं हुए हैं, उनमें सभी स्टेट गैर भाजपा शासित हैं। इसमें बिहार के सीएम नीतीश कुमार, झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन, बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, ओड़िशा के सीएम नवीन पटनायक और तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन शामिल हैं। मजेदार बात ये है कि ये सभी सीएम अपने अपने राज्यों में गृह विभाग भी संभाल रहे हैं। बिहार में सीएम नीतीश कुमार की गैर मौजूदगी में गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव चैतन्य प्रसाद शामिल हुए हैं।