छह राज्यों के 7 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के नतीजे आ गए हैं। उपचुनाव के नतीजों में भाजपा और एनडीए के लिए झटका है। क्योंकि त्रिपुरा में विरोधी की सीट जीतने के बाद भी बंगाल में अपनी जीती एक सीट गंवा कर भाजपा नंबर गेम में पिछड़ गई। 7 में से 4 सीटें हार जाने वाली भाजपा उत्तरप्रदेश की वो सीट भी हार गई, जिस पर दारा सिंह चौहान ने पिछले साल समाजवादी पार्टी के टिकट चुनाव जीता था। चौहान ने भाजपा में घर वापस कर फिर चुनाव लड़ा, लेकिन बाजी अखिलेश यादव के हाथ रही क्योंकि उन्होंने घोसी विधानसभा उपचुनाव में अपने उम्मीदवार सुधाकर सिंह को फिर जिता लिया। यूपी में बड़े बहुमत की सरकार के बाद भी सीट हार जाना सीएम योगी आदित्यनाथ के लिए झटका है। लेकिन सीएम योगी की इस हार में पीएम नरेंद्र मोदी के लिए एक जीत का नुस्खा भी आजमा दिया है। यूं कहें तो बड़ी लड़ाई से पहले छोटी हार ने भाजपा को जीत की खुशबू से सराबोर कर दिया है।
माया का लड़ना भाजपा के लिए ‘शुभ’
उत्तरप्रदेश की घोसी सीट पर उपचुनाव में सपा के सुधाकर सिंह जीते हैं। यह सीट खाली हुई थी दारा सिंह चौहान के भाजपा में घर वापसी के कारण। दारा सिंह चौहान ने चुनाव जीतने के बाद इस्तीफा दे दिया और इसी कारण अभी घोसी में उपचुनाव हुआ। भाजपा में लौटे चौहान ने इस बार भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा लेकिन पिछली बार भाजपा को 22 हजार वोट से हराने वाले चौहान, इस बार 42 हजार वोट से भाजपा के टिकट पर चुनाव हार गए। भाजपा के लिए यह रिजल्ट झटका हो सकता है। लेकिन एक समीकरण ऐसा है, जो भाजपा को आगे फायदा पहुंचा सकता है। मार्च 2022 और सितंबर 2023 के घोसी चुनाव के नतीजों ने साबित किया है मायावती फैक्टर अभी भी यूपी में कारगर है।
दरअसल, घोसी सीट पर हार को भाजपा के लिए इसलिए झटका माना जा रहा है क्योंकि यूपी में योगी सरकार है। लेकिन वोटों के समीकरण को देखें तो यह सीट तो भाजपा से कब की छिन चुकी है। कभी इस सीट पर भाजपा के फागू चौहान और विजय राजभर जीते थे लेकिन बाद में अखिलेश यादव की पार्टी ने यह सीट 2022 में जीत ली थी। 2022 में भाजपा की हार में मायावती का योगदान भी था, क्योंकि उनकी पार्टी के उम्मीदवार को 54 हजार से अधिक वोट मिले थे। तब भाजपा उम्मीदवार 22 हजार वोटों से हारा। लेकिन अभी हुए उपचुनाव में मायावती ने अपना उम्मीदवार नहीं उतारा। नतीजा यह हुआ कि अखिलेश का PDA दांव चल गया और भाजपा की हार का अंतर दोगुना हो गया। गौरतलब है कि मायावती की पार्टी उपचुनाव नहीं लड़ती है। इस चुनाव में भी पार्टी का यही निर्देश था कि उनके समर्थक या तो चुनाव से दूर रहें या फिर नोटा पर वोट डालें।
अखिलेश के लिए भविष्य पर सवाल
दरअसल, घोसी उपचुनाव से भाजपा के लिए खुशखबरी इस मायने में है क्योंकि मायावती की पार्टी चुनाव लड़ने की स्थिति बेहतर रह रही है। दूसरी ओर मायावती ने साफ ऐलान कर दिया है कि वे INDIA का हिस्सा नहीं होंगी। ऐसे में इतना तय है कि आने वाले लोकसभा चुनाव में भी मायावती यूपी में अपने उम्मीदवार उतारेंगी। ऐसे में मायावती का अलग रहना भी भाजपा के लिए फायदा ही है।