मुम्बई: एक शरणार्थी की याचिका पर सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने उसकी कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि भारत की उदारता का फायदा मत उठाईये। पाकिस्तान या किसी खाड़ी देश चले जाईये। दरअसल यमन के नागरिक खालिद गोमेई मोहम्मद हसन भारत में तय अवधि से ज्यादा रह रहे थे और इसे लेकर पुणे की पुलिस ने ‘लीव इंडिया नोटिस’ जारी किया गया था। वही उन्होंने पुलिस की तरफ से जारी नोटिस को कोर्ट में चुनौती दी थी। शरणार्थी की इसी याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने फटकार लगाई। बता दें मामले की सुनवाई जस्टिस रेवती मोहित डेरे और जस्टिस पृथ्वीराज चव्हाण की बेंच कर रही थी।
याचिकाकर्ता का कहना है कि वह 10 सालों से भारत में रह रहा है। साथ ही याचिकाकर्ता कुछ राहत चाहता था, क्योंकि वह ऑस्ट्रेलिया जाना चाहता है। हसन शरणार्थी कार्ड धारक हैं और जबरन डिपोर्ट किए जाने से बचने के लिए उसने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। अपनी याचिका में हसन ने कहा कि यमन इस वक्त सबसे खराब मानवीय संकट से गुजर रहा है और इस कारण वह भारत में बीते 10 सालों से रह रहा है। उन्होंने याचिका में कोर्ट को बताया कि 45 लाख नागरिक विस्थापित हो गए हैं। मालूम हो कि हसन मार्च 2014 में स्टूडेंट वीजा पर भारत आया था और 2015 में मेडिकल वीजा पर उनकी पत्नी भारत पहुंची थीं। इसके साथ ही हसन का वीजा 2017 की फरवरी में खत्म हो गया और पत्नी का वीजा सितंबर 2015 में एक्सपायर हो गया था।
भारतीय नियम के अनुसार पुणे पुलिस ने इस साल फरवरी में उन्हें लीव इंडिया नोटिस जारी किया था और बाद में अप्रैल को भी नोटिस दिया गया था। हसन को पुलिस ने नोटिस मिलने के 14 दिनों में भारत छोड़ने के लिए कहा था। वहीं बेंच के सामने याचिकाकर्ता ने ऑस्ट्रेलिया का वीजा मिलने तक डिपोर्टेशन से सुरक्षा की मांग की थी। इस मामले पुणे पुलिस की तरफ से कोर्ट में पेश हुए संदेश पाटिल की इस बात से कोर्ट ने सहमती जताई थी कि याचिकाकर्ता रिफ्यूजी कार्ड धारकों को अनुमति देने वाले 129 अन्य देशों में जा सकता है। आगे कोर्ट ने कहा, ‘हम आपको सिर्फ 15 दिनों तक सुरक्षा दे सकते हैं और उससे ज्यादा नहीं।’ इस दौरान कोर्ट ने कपल की बेटी की नागरिकता का भी मुद्दा उठाया, जिसका जन्म भारत में हुआ था। इसपर कोर्ट ने कहा की बच्ची का जन्म माता-पिता का वीजा खत्म होने के बाद हुआ है, जिसका मतलब है कि पैरेंट्स अवैध प्रवासी हैं। ऐसे में बच्ची को नागरिकता नहीं दी जा सकती।’