लोकसभा चुनाव 2024 में अब एक साल का वक्त भी नहीं बचा है। राजनीतिक दलों की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। केंद्र की सत्ता में दो बार चुनाव जीतने वाली भाजपा हैट्रिक की कोशिश में है। तो विपक्षी दल नए नए अस्त्रों से मोदी सरकार के तीसरे टर्म को रोकने का प्रयास कर रहे हैं। विपक्षी दलों की एकता एक फॉर्मूला है, जिस पर काम जारी है। तो दूसरी ओर बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने अपने स्तर से एक ऐसा अस्त्र चलाया है, जिसका असर अभी तो भविष्य के गर्भ में है। लेकिन बिना असर जाने ही विपक्षी दलों का वो फेवरेट अस्त्र बनता जा रहा है। वह अस्त्र है जातीय जनगणना का। राहुल गांधी और अखिलेश यादव ने तो इस पर पहले ही हामी भर दी है। लेकिन उनके पास सत्ता नहीं है। अब ओड़िशा के सीएम नवीन पटनायक ने भी नीतीश कुमार के इस अस्त्र से वार कर दिया है।
ओड़िशा में शुरू हुआ ओबीसी सर्वे
दरअसल, ओडिशा के मुख्यमंत्री और बीजू जनता दल के प्रमुख नवीन पटनायक ने ओबीसी सर्वे शुरू करा दिया है। अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) का यह सर्वेक्षण सोमवार से पूरे ओडिशा में शुरू हुआ है। यह सर्वे ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों मोड में किया जा रहा है। 27 मई तक जारी रहने वाले इस सर्वे में राज्य के सभी 314 ब्लॉक और 114 शहरी स्थानीय निकायों को शामिल किया गया है। राज्य सरकार ने इस सर्वे का उद्देश्य ओडिशा में पिछड़े वर्गों के लोगों की वर्तमान सामाजिक और शैक्षिक स्थिति की तस्वीर प्राप्त करना बताया है।
भाजपा ने शुरू किया विरोध
ओड़िशा सरकार की इस पहल का विरोध भाजपा ने किया है। भाजपा ने इसे लोगों के लिए धोखा देने वाला काम बताया है। ओड़िशा में भाजपा के ओबीसी मोर्चा अध्यक्ष सुरथ बिस्वाल ने मीडिया से बात करते हुए आरोप लगाया है कि राज्य सरकार ने पिछड़े वर्ग की सूची को अद्यतन नहीं किया है। इस सर्वे से ओडिशा में 54 प्रतिशत लोगों को उनके संवैधानिक अधिकारों से वंचित किया जा रहा है।