भारत में लंबे समय से विलंबित जनगणना (Population Census) सितंबर में शुरू होने की संभावना है। भारत में पिछली बार 2011 में जनगणना हुई थी। हर 10 साल में होने वाली यह प्रक्रिया 2021 में कोरोना वायरस के कारण नहीं हो पाई थी। अब तीन साल की देरी के बाद भारत की आबादी की गिनती होगी। अगर इस साल जनगणना होती है तो नरेंद्र मोदी सरकार को कई महत्वपूर्ण डाटा मिल सकते हैं। अगले महीने शुरू होने वाले नए सर्वेक्षण को पूरा करने में लगभग 18 महीने लगेंगे। यानी मार्च 2026 तक इसकी रिपोर्ट आ सकती है।
भारत में जनगणना की प्रक्रिया में सीधे शामिल दो सरकारी सूत्रों ने एक समाचार एजेंसी को बताया है कि भारत में लंबे समय से विलंबित जनगणना सितंबर में शुरू होने की संभावना है। ऐसा इसलिए क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वर्षों की आलोचना के बाद अपने तीसरे कार्यकाल में उपलब्ध आंकड़ों में आए बड़े अंतराल को भरने की कोशिश कर रहे हैं। सरकार के भीतर और बाहर के अर्थशास्त्रियों ने ताजा जनगणना में देरी की आलोचना की है, क्योंकि इससे आर्थिक डाटा, मुद्रास्फीति और नौकरियों के अनुमान समेत कई अन्य सांख्यिकीय सर्वेक्षणों की गुणवत्ता प्रभावित होती है।
पासपोर्ट कार्यालय में बड़ी लापरवाही! अफगानी नागरिक को मिला भारतीय पासपोर्ट, 9 महीने बाद एफआईआर
जनगणना सही समय पर जरूरी
1.4 अरब आबादी वाले देश में जनगणना सही समय पर इसलिए भी जरूरी है क्योंकि नीति निर्माता सारी योजना 2011 के आंकड़ों के आधार पर ही बना रहे हैं। सरकार जो भी योजना बनाती है या कार्यक्रम शुरू करती है उसका आवंटन जनगणना के आधार पर होता है। वर्तमान में इनमें से अधिकांश डाटा सेट और उनके परिणामों पर आधारित सरकारी योजनाएं 2011 में जारी अंतिम जनसंख्या जनगणना पर आधारित हैं। जिसके कारण कई सरकारी योजनाएं और नीतियां कम प्रभावी हो गईं हैं।
यात्रीगण कृपया ध्यान दें… बिहार की 20 ट्रेनें 24 अगस्त से रहेंगी कैंसिल, 10 ट्रेनों के बदलेंगे रूट
प्रधानमंत्री कार्यालय से मंजूरी का इंतजार
अधिकारियों ने बताया कि जनगणना कराने में अग्रणी भूमिका निभाने वाले गृह मंत्रालय और सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने एक समय सीमा तैयार की है और उनका लक्ष्य मार्च 2026 तक नतीजे जारी करना है, जिसमें 15 साल की अवधि शामिल है। हालांकि, इस प्रक्रिया को प्रधानमंत्री कार्यालय से मंजूरी का इंतजार है। रॉयटर्स ने गृह मंत्रालय और सांख्यिकी मंत्रालय से टिप्पणी के लिए अनुरोध किया जिसका उसे तुरंत जवाब नहीं मिला।
वक्फ संशोधन बिल पर JPC की पहली बैठक आज… जगदंबिका पाल ने कहा- मुस्लिम संगठनों से भी होगी बात
2023 में संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल भारत ने दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बनकर चीन को पीछे छोड़ दिया था। सरकार खुदरा महंगाई दर समेत अपने आर्थिक आंकड़ों में भी बदलाव करने की कोशिश कर रही है, जिसमें उपभोग पैटर्न में बदलाव को दर्शाने के लिए खाद्य सहित विभिन्न श्रेणियों का पुनर्मूल्यांकन शामिल है। जनगणना जैसी गहन जनसांख्यिकी कवायद बेहद जरूरी है। भारत जैसे आर्थिक और सांस्कृतिक विविधता वाले देश में तो इसकी आवश्यकता और भी अधिक है। उदाहरण के लिए यह आबादी के आकार जैसी बुनियादी जानकारी मुहैया कराता है।