एन वी रमना भारत के 48वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) हैं। उनका पूरा नाम नुथलापति वेंकट रमण है । वो आंद्रप्रदेश के रहने वाले हैं। साल 2021 में वो मुख्य न्यायधीश बने। उनका कार्यकाल 26 अगस्त, 2022 को समाप्त हो जाएगा।
छात्र नेता से मुख्य न्यायधीश तक सफर
एन वी रमना का जन्म 27 अगस्त, 1957 को आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के पोन्नावरम गांव के एक किसान परिवार में हुआ था। साल 1975 के आपात कल के दौरान एक छात्र नेता के रूप में सरकार के विरोध में भी सक्रिय रहे। साल 1979 से 1980 तक उन्होंने एक अखबार में पत्रकार के रूप में काम किया।10 फ़रवरी 1983 एक वकील के रूप में प्रैक्टिस शुरू किया। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में दीवानी, आपराधिक, चुनावी आदि कई मामलों में प्रैक्टिस किया। उन्होंने संवैधानिक, आपराधिक, सेवा और अंतर-राज्यीय नदी कानूनों में विशेषज्ञता हासिल कर ली। 27 जून 2000 को वे आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के न्यायाधीश बने। फिर 2 सितंबर 2013 को दिल्ली HC का मुख्य न्यायाधीश बने और 17 फरवरी 2014 को रमना सुप्रीम कोर्ट के जज बने। मार्च, 2021 रमना भारत के 48 वें CJI के रूप में नियुक्त हुए।
महत्वपूर्ण फैसले
रमना अपने कार्यकाल के दौरान अब तक कई महत्पूर्ण फैसलों के हिस्से रहे हैं। वह महिला अधिकारों, चुनावी मुद्दों से लेकर CJI के पद को सूचना के अधिकार अधिनियम के दायरे में लाने के फैसले और राज्य के लोगों पर लगाए गए प्रतिबंधों सहित जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने से संबंधित विभिन्न मामलों पर पीठ का नेतृत्व किया है। इसके आलवे कोरोना काल के दौरान ऑक्सीजन की कमी दूर करने के लिए टास्क फोर्स का गठन अरने का भी आदेश दिया था।
टिप्पणियों को लेकर चर्चा में रहे
कई मामलों की सुनवाई करते हुए उनकी टिप्पणी चर्चा का विषय बनी रही। जम्मू-कश्मीर में मीडिया पर लगाए गए प्रतिबंधों से संबंधित एक मामले में, न्यायमूर्ति रमना ने कहा था कि “जिम्मेदार सरकारों को हर समय प्रेस की स्वतंत्रता का सम्मान करने की आवश्यकता है … पत्रकारों को रिपोर्टिंग में समायोजित किया जाना है और अनुमति देने का कोई औचित्य नहीं है। प्रेस पर अनिश्चित काल तक लटकने के लिए डैमोकल्स की तलवार।” वहीं गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1967 जैसे कड़े कानूनों के तहत जमानत देने के एक मामले कि सुनवाई के दौरान उनकी अध्क्षता वाली पीट ने कहा कि “प्रति से संवैधानिक न्यायालयों की जमानत देने की क्षमता को बाहर नहीं करता है। एक मौलिक अधिकार के उल्लंघन के आधार” जैसे कि एक त्वरित परीक्षण के अधिकार का अधिकार।
भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे
साल 2020 आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने एन वी रमना और उनके परिवार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया। साथ ही सरकार को अस्थिर करने का आरोप भी लगाया। और इस संबंध में तत्कालीन CJI बोबडे को पत्र भी लिखा था। 24 मार्च 2021 को, सुप्रीम कोर्ट ने एक बयान जारी कर कहा कि शिकायतों की जांच के बाद रमना के खिलाफ आरोपों को “बेकार” पाया गया और जांच बंद कर दी गई। अदालत ने गोपनीयता का हवाला देते हुए रिपोर्ट जारी करने से भी मना कर दिया।