18वीं लोकसभा का पहला सत्र शुरू हुआ है, जिसमें सांसदों की शपथ के बाद अब लोकसभा स्पीकर के चुनाव का वक्त है। सत्तापक्ष की ओर से ओम बिड़ला रिपीट किए गए हैं। तो कांग्रेस ने अपनी ओर से के. सुरेश को उम्मीदवार बना दिया। अब बुधवार, 26 जून को स्पीकर के पद पर चुनाव होना है। लेकिन इस चुनाव में हार और जीत का हिसाब-किताब सभी समझ रहे हैं। कांग्रेस ने उम्मीदवार जरुर उतारा है लेकिन इसके लिए अपने सहयोगियों को भी भरोसे में नहीं लिया। ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी ने इस पर आपत्ति भी जताई है।
तिहाड़ जेल में बंद दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को CBI ने की पूछताछ
ऐसे में अब सवाल उठता है कि आखिर विपक्ष की ओर से उम्मीदवार उतारा क्यों गया, जबकि इससे पहले कभी ऐसा नहीं हुआ। तो इसके पीछे का मकसद सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों का एक ही है। दोनों ही मैसेज देना चाहते हैं कि वे अपनी शर्तों पर ही काम करेंगे। दरअसल, भाजपा ने जब ओम बिड़ला के नाम का प्रस्ताव किया तो पहले कांग्रेस ने समर्थन की बात कही। लेकिन तब कांग्रेस ने यह शर्त लगा दी कि डिप्टी स्पीकर उनका होगा, तो ही वे लोकसभा अध्यक्ष के लिए साथ देंगे। भाजपा ने बात नहीं मानी तो कांग्रेस ने उम्मीदवार दे दिया।
दरअसल, भाजपा की सीटें कम होने और कांग्रेस की सीटें बढ़ने का लाभ विपक्ष उठाना चाहता है। तो दूसरी ओर भाजपा का स्पष्ट मत यह है कि सीटें जरुर कम हुई हैं, तेवर वही है। इससे संकेत यह भी मिल रहा है कि पूरे सत्र के दौरान कांग्रेस बार बार हर मुद्दे को वोटिंग की तरफ ले जाएगी क्योंकि इससे भाजपा पर बहुमत नहीं होने का दबाव बार बार बनाया जा सके। जबकि भाजपा की कोशिश यह है कि वो किसी हाल में विपक्ष के सामने कमजोर नहीं दिखना चाहती।
संसद में भाजपा और कांग्रेस के जंग के पहले राउंड यानि लोकसभा स्पीकर का चुनाव 26 जून को होगा। इसमें 11 बजे वोटिंग होगी।