एक वक्त था जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार देश में पीएम नरेंद्र मोदी का विकल्प बनने की मुहिम चला रहे थे। इस मुहिम को बड़ी सफलता तब मिली जब जुलाई 2023 में 15 दलों की साझा बैठक पटना में हुई। उस बैठक में लगा कि मोदी और भाजपा की खिलाफत में विपक्ष इकट्ठा हो सकता है। यह सफलता नीतीश कुमार के प्रयास की थी, जिसके लिए वे कई राज्यों के दौरे पर गए। अधिकतर राज्यों में नीतीश की बात सफल रही और पार्टियां एकजुट होने को तैयार हो गईं। लेकिन एक राज्य ऐसा था, जहां की सत्ताधारी क्षेत्रीय पार्टी ने अपने नेता से नीतीश की पुरानी दोस्ती को भी तवज्जो नहीं दी और विपक्षी एकता के लिए राजी नहीं हुई। तब यह दल न एनडीए के साथ था और न ही विपक्षी दलों की एकता के साथ। लेकिन जो काम नीतीश कुमार नहीं कर सके, उसमें नरेंद्र मोदी ने उस नेता को एनडीए में लाकर कर दिया है। उस नेता का नाम है नवीन पटनायक और पार्टी है बीजू जनता दल।
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NDA में शामिल होंगे नवीन पटनायक
नवीन पटनायक की बीजू जनता दल और एनडीए का नाता पुराना है। 15 साल पहले बीजू जनता दल से एनडीए से अलग होने का फैसला किया और 2023 तक इस पर कायम भी रहा। इस बीच केंद्र में भाजपा विपक्ष से सत्तापक्ष पर आ गई। लेकिन बीजू जनता दल ने अपना स्टैंड बरकरार रखा। यूपीए की सरकार के वक्त नवीन पटनायक ने कांग्रेस के प्रति नरम रुख रखा। वही रुख उनका भाजपा के साथ भी है। एनडीए में नहीं होने के बाद भी नरेंद्र मोदी सरकार के नोटबंदी, कश्मीर से 370 हटाने के विधेयक, नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, जीएसटी बिल और दिल्ली अधिनियम बिल का बीजू जनता दल ने संसद में खुला समर्थन किया। राज्यसभा में भी बीजू जनता दल का समर्थन लगभग हर मुद्दे पर एनडीए के साथ ही रहा। यहां तक कि हरिवंश को उपसभापति बनाने के लिए एनडीए की ओर से नीतीश कुमार ने नवीन पटनायक से बात की और वे आसानी से राजी हो गए। लेकिन एनडीए से निकलने के बाद नीतीश कुमार ने जब विपक्ष की एकता के लिए नवीन पटनायक से समर्थन मांगा तो सफल नहीं हो सके। लेकिन अब लग रहा है नरेंद्र मोदी ने नवीन पटनायक को साध लिया है और उन्हें एनडीए में आने के लिए मना लिया है।
दोनों को होगा फायदा?
बीजू जनता दल के एनडीए में आने से न सिर्फ नवीन पटनायक को लाभ होगा बल्कि एनडीए को भी लाभ होगा। दोनों के मकसद स्पष्ट हैं। नवीन पटनायक की प्राथमिकता ओडिशा है और भाजपा की प्राथमिकता लोकसभा चुनाव 2024 में 400 सीटें हैं। जिस प्रकार विपक्ष भाजपा को रोकने के लिए एकजुट हो रहा है, उस प्रकार भाजपा ने भी अलग अलग दलों से समर्थन कर अपने प्रतिद्वंदी कम करने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है। बिहार में नीतीश कुमार आ चुके हैं। ओडिशा में नवीन पटनायक आ रहे हैं। नवीन पटनायक के आने से भाजपा को बड़ा फायदा होगा, जिसकी झलक 2019 के लोकसभा चुनाव में भी दिखती है। ओडिशा की 21 लोकसभा सीटों पर तीन तरफा लड़ाई हुई। भाजपा ने भले ही देश में 300 से अधिक सीटों पर अपने उम्मीदवार जिता लिए लेकिन ओडिशा में सिर्फ 1 सीट पर जीत मिली। जबकि बीजू जनता दल ने शेष 20 सीटों पर जीत दर्ज की। कभी ओडिशा में मुख्य विपक्षी पार्टी रही कांग्रेस के हाथ कोई सीट नहीं आई। इसलिए 2024 में भाजपा और बीजद का गठबंधन कांग्रेस के लिए मुश्किलों को और बढ़ाएगा जबकि एनडीए के 400 के लक्ष्य को पूरा करने में सहायक होगा।