शरद पूर्णिमा यानि शनिवार/ रविवार को चन्द्र ग्रहण लगने वाला है। चन्द्र ग्रहण का स्पर्श 28 अक्टूबर आज शनिवार की रात में 1 बजकर 25 मिनट पर होगा। मध्य रात में 1 बजकर 44 मिनट पर होगा तथा इसका मोक्ष रात्रि 02 बजकर 24 मिनट पर होगा, सूतक 28 अक्टूबर को शाम 4 बजे से लग जाएंगे और ग्रहण समाप्त होने पर खत्म होंगे। भारत समेत बांग्लादेश, नेपाल, भूटान ऑस्ट्रेलिया, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका के कई हिस्सों में दिखाई देगा। भारत में भी यह दिल्ली, पटना, मुंबई, कोलकाता, उत्तर प्रदेश, बिहार आदि कई राज्यों और शहरों में दिखाई देगा।
जानिए क्या होता है सूतक
ग्रहण के दौरान सूतक को महत्वपूर्ण माना जाता है। लोग ग्रहण से कुछ घंटे पहले कुछ नियमों का पालन करते हैं और ग्रहण समाप्त होने के तुरंत बाद अपना उपवास समाप्त करते हैं। हालांकि, उपवास तोड़ने से पहले, लोग स्नान करते हैं, अपने इष्ट देवता की पूजा करते हैं, सूर्य या चंद्रमा भगवान का आशीर्वाद लेते हैं और फिर जल और भोजन का सेवन करते हैं।
ज्योतिषियों के मुताबिक, चंद्र ग्रहण के दौरान भगवान की पूजा करना वर्जित होता है, इसलिए घर या मंदिरों में भगवान के कपाट बंद रखना चाहिए। साथ ही साथ प्रतिमाओं को स्पर्श करने से भी बचना चाहिए। ग्रहण समाप्त होने के बाद नहाकर मंदिर के कपाट खोलें और फिर मंदिर धोएं और पूजा करें।
चांद की रौशनी में नहीं रखा जायेगा खीर
बता दें कि शरद पूर्णिमा के दिन खीर को रातभर चांद की रौशनी में छोड़ा जाता है। मान्यता ये है कि शरद पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा से अमृत वर्षा होती है। लेकिन इस बार चंद्र ग्रहण होने के कारण यह नहीं ये नहीं हो सकेगा। चन्द्रग्रहण के कारण से इस बार शरद पूर्णिमा को रात में अमृत वर्षा के दौरान खीर नहीं रखी जा सकेगी। चन्द्रग्रहण समाप्त होने के बाद खीर बनाकर रखा जा सकता है। सुबह उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करें।
खाने-पीने की चीजों में क्यों डाले जाते हैं तुलसी के पत्ते
मान्यता है कि ग्रहण के दौरान खाने-पीने की चीजों में तुलसी के पत्ते डाल देना चाहिए इससे खाने की चीजें ग्रहण के प्रभाव से बच जाती है। इसलिए खाने-पीने की चीजों में डालने के लिए तुलसी के पत्ते तोड़ लें। सूतक और ग्रहण के दौरान पेड़-पौधों को भी स्पर्श करना भी वर्जित माना जाता है इसलिए सूतक काल शुरू होने से पहले ही तुलसी के पत्ते तोड़कर रख लेना चाहिए।