वाराणसी के ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी विवाद में मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया गया है। आगे सुनवाई जारी रहेगी। वाराणसी जिला कोर्ट ने कहा कि यह केस सुनने लायक है। ज्ञानवापी मस्जिद के कैंपस में मौजूद श्रृंगार गौरी मंदिर में पूजा की अनुमति देने वाली याचिका पर 24 अगस्त को हिंदू और मुस्लिम पक्ष की बहस पूरी हो गई थी। इसके बाद वाराणसी के जिला जज एके विश्वेश ने 12 सितंबर के लिए फैसला सुरक्षित रख लिया था। अब सोमवार को इस पर सुनवाई हुई है।
22 सितंबर को आगे की सुनवाई
विश्व वैदिक सतानत संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह बिसेन ने मीडिया को बताया है कि अदालत ने हिंदू पक्ष की दलीलें मानी हैं। कोर्ट में अब 22 सितंबर को इस मामले की अगली सुनवाई होगी।
मुस्लिम पक्ष की दलील
वर्ष 2021 में मस्जिद और मंदिर प्रबंधन के बीच जमीन की अदला-बदली हुई। तब यह अदला-बदली वक्फ प्रॉपर्टी मान कर ही की गई थी। इसलिए मां शृंगार गौरी का मुकदमा सिविल कोर्ट में सुनवाई योग्य नहीं है। इसके अलावा, 1883-84 में अंग्रेजों के शासनकाल में जब बंदोबस्त लागू हुआ तो सर्वे हुआ और आराजी नंबर बनाया गया। आराजी नंबर 9130 में उस समय भी दिखाया गया था कि वहां मस्जिद है, कब्र है, कब्रिस्तान है, मजार है, कुआं है। पुराने मुकदमों में भी यह तय हो चुका है कि ज्ञानवापी मस्जिद वक्फ की प्रॉपर्टी है।
ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी मामला
- 18 अगस्त 2021 को 5 महिलाएं ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में मां श्रृंगार गौरी, गणेश जी, हनुमान जी समेत परिसर में मौजूद अन्य देवताओं की रोजाना पूजा की इजाजत मांगते हुए कोर्ट पहुंची थीं। अभी यहां साल में एक बार ही पूजा होती है।
- इन पांच याचिकाकर्ताओं का नेतृत्व दिल्ली की राखी सिंह कर रही हैं, बाकी चार महिलाएं सीता साहू, मंजू व्यास, लक्ष्मी देवी और रेखा पाठक बनारस की हैं।
- 26 अप्रैल 2022 को वाराणसी सिविल कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में श्रृंगार गौरी और अन्य देव विग्रहों के सत्यापन के लिए वीडियोग्राफी और सर्वे का आदेश दिया था।