[Team Insider]: तेदुआ अपने शरीर पर धब्बेदार कोट के लिए जाना जाता है। यह बिल्ली के प्रजाति के होते हैं। तेदुआ काफी हद तक जंगलों में छिपे रहते हैं। शोधकर्ताओं ने पहली बार नागालैंड (Nagaland) के सामुदायिक जंगल में एक बादल (clouded leopard spotted) वाले तेंदुए को देखा है। कम ऊंचाई वाले सदाबहार वर्षावनों में रहने के लिए जाने जाने वाले इस जानवर को भारत-म्यांमार सीमा पर 3,700 मीटर की ऊंचाई पर देखा गया था।
शोधकर्ताओं द्वारा रखे गए कैमरा में तस्वीर कैद हुई
शोधकर्ताओं द्वारा रखे गए कैमरा ट्रैप में यह तस्वीर कैद हुई है। यह भारत में बादल वाले तेंदुए के अब तक के उच्चतम रिकॉर्ड की पुष्टि करती हैं। शोधकर्ताओं ने कहा, “‘नागालैंड में स्थानीय समुदाय गांव-विशिष्ट प्रबंधन व्यवस्थाओं की एक श्रृंखला के साथ क्षेत्र के जंगलों के एक बड़े हिस्से का स्वामित्व और प्रबंधन करते हैं। हमारे सर्वेक्षणों में इन सामुदायिक जंगलों में उच्च विविधता और कई वैश्विक स्तर पर खतरे वाले तेंदुए की प्रचुरता पाई गई है।”
ये पहाड़ों पर तेजी से चढ़ने में माहिर होते हैं
उग्र पर्वतारोही के रूप में जाने जाने वालों में ये सर्वश्रेष्ठ होते हैं। बादल वाले तेंदुओं के छोटे, शक्तिशाली पैर होते हैं। ये पीछे की टखनों को घुमाते हैं। यह उन्हें न केवल तेजी से चढ़ने में सक्षम बनाता है बल्कि अपने बड़े और तेज पंजे का उपयोग करके उल्टा लटकने में भी मददगार होता है। नेशनल ज्योग्राफिक के अनुसार, वैज्ञानिकों का मानना है कि वे अपना अधिकांश शिकार जमीन पर करते हैं। हिरणों, सूअरों, बंदरों और छोटे गिलहरी या पक्षियों को अपना निशाना बनाते हैं।
जंगल में इनके व्यवहार के बारे में अध्ययन किया जाना अभी बाकी है
ये बड़े कुत्ते का भी शिकार करते हैं। हालांकि, जंगल में इनके व्यवहार के बारे में अध्ययन किया जाना अभी बाकी है। यह प्रजाति एशिया में इंडोनेशिया के वर्षा वनों से लेकर हिमालय की तलहटी तक पाई जाती है। इनकी कम होती संख्या के कारण इन्हें एक कमजोर प्रजाति के रूप में देखा जाने लगा है। आईयूसीएन/प्रजाति उत्तरजीविता आयोग (एसएससी) कैट स्पेशलिस्ट ग्रुप द्वारा द्विवार्षिक न्यूजलेटर कैट न्यूज के शीतकालीन 2021 अंक में निष्कर्ष प्रकाशित किए गए हैं। शोध का नेतृत्व दिल्ली स्थित गैर-लाभकारी वन्यजीव संरक्षण सोसाइटी ऑफ इंडिया (डब्ल्यूपीएसआई) ने 65 वर्ग किलोमीटर के जंगलों में किया था।