सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू को तीन दशक पुराने हमले के मामले में एक साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को 1988 के रोड रेज मामले में राजनेता नवजोत सिंह सिद्धू की सजा को एक साल की जेल में बदल दिया, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी।
तीन साल के कारावास से घटाकर 1,000 रुपये जुर्माना
सुप्रीम कोर्ट ने 2018 के फैसले के खिलाफ पीड़ित गुरनाम सिंह के परिवार द्वारा दायर समीक्षा याचिका को स्वीकार कर लिया। अपने 2018 के फैसले में, शीर्ष अदालत ने सिद्धू की सजा को तीन साल के कारावास से घटाकर 1,000 रुपये जुर्माना कर दिया था। यह आदेश न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की पीठ ने दिया है।
मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा चुका
गौरतलब है कि कांग्रेस नेता को गैर इरादतन हत्या के आरोपों से बरी कर दिया गया था, लेकिन उन्हें स्वेच्छा से चोट पहुंचाने के अपराध का दोषी ठहराया गया था। अदालत ने सिद्धू पर 1,000 रुपये का जुर्माना लगाया था और मामले में सिद्धू के सहयोगी रूपिंदर सिंह संधू को भी बरी कर दिया था। मामला सेशन कोर्ट, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक जा चुका है।
परिवार ने उच्च न्यायालय के समक्ष दी चुनौती
पटियाला के सत्र न्यायालय के न्यायाधीश ने 22 सितंबर, 1999 को सिद्धू और उनके सहयोगी को मामले में सबूतों के अभाव और संदेह का लाभ देने के कारण बरी कर दिया था। इसके बाद पीड़ित परिवारों ने इसे पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती दी, जिसने 2006 में सिद्धू को दोषी ठहराया और तीन साल कैद की सजा सुनाई थी। सिद्धू ने इस आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत में अपील दायर की। 27 दिसंबर, 1988 को सिद्धू ने कथित तौर पर गुरनाम सिंह के सिर पर वार किया, जिससे उनकी मौत हो गई।