नीति आयोग द्वारा सोमवार 15 जनवरी को रिपोर्ट जारी करते हुए ये कहा कि देश में 2013-14 के मुकाबले 2022-23 में गरीबी में 17.89% की गिरावट आई है। नीति आयोग के 2005-06 से भारत में बहुआयामी गरीबी (मल्टीडाईमेंसनल पोवर्टी) के डिस्कशन पेपर ने देश में बहुआयामी गरीबी में आई कमी के लिए साल 2013-14 से लेकर 2022-23 के बीच सरकार की ओर से उठाये गए कदमों को इसका श्रेय दिया है। रिपोर्ट के मुताबिक भारत में बहुआयामी गरीबी 2013-14 में 29.17 फीसदी थी, जो 2022-23 में घटकर 11.28 फीसदी रह गई है। मोदी सरकार के नौ साल के कार्यकाल के दौरान देश में 24.82 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से बाहर निकले हैं।
नीति आयोग के रिपोर्ट के अनुसार 2015-16 और 2019-21 के बीच सालाना 10.66 फीसदी की सबसे तेज़ गति के साथ गरीबी से लोग बाहर आने में कामयाब हुए हैं। जबकि 2005-06 से 2015-16 के बीच सालाना 7.69 फीसदी की दर से लोग गरीबी से बाहर निकल पाए थे। रिपोर्ट के मुताबिक ये पाया गया कि बहुआयामी गरीबी के सभी 12 इंडीकेटर्स में 2013-14 और 2022-23 के दौरान खासा सुधार हुआ है। इन 12 इंडीकेटर्स में स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर राष्ट्रीय एमपीआई को मापा जाता है। इनमें पोषण, बाल और किशोर मृत्यु दर, मातृ स्वास्थ्य, स्कूली शिक्षा के वर्ष, स्कूल में उपस्थिति, रसोई गैस, स्वच्छता, पेयजल, बिजली, आवास, परिसंपत्ति और बैंक खाते शामिल हैं। नीति आयोग के डेटा के मुताबिक इन सभी मापदंडों में सुधार देखने को मिला है। रिपोर्ट यही बताती है कि अति गरीब और पिछड़े राज्यों में गरीबी रेखा से बाहर निकलने वालों की संख्या सबसे तेज़ और सर्वाधिक है। रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 5.94 करोड़ लोगों को बहुआयामी गरीबी से बाहर निकलने में सफलता मिली है। इसके बाद बिहार का 3.77 करोड़ लोगों के साथ गरीबी रेखा से निकलने में दूसरा नंबर है। वहीँ मध्य प्रदेश में 2.30 करोड़ और राजस्थान में 1.87 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से बाहर आए हैं।