लोकसभा चुनाव 2024 के रणक्षेत्र में उतरने से पहले सभी राजनीतिक दल इस वक्त लड़ाई के रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं। चुनावी लड़ाई के लिए दो बड़ा खेमा दिखा रहा है। पहला है भाजपा के नेतृत्त्व वाला NDA गठबंधन और दूसरा है कई विपक्षी दलों का नया नवेला I.N.D.I.A गठबंधन है। लेकिन कुछ राजनीतिक दल ऐसे हैं जो दोनों में से किसी खेमा का हिस्सा नहीं है। ऐसे दलों में दो बड़ा नाम है। जिनके पास एक- एक राज्य की सत्ता भी है। इसमें पहला नाम उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की बीजू जनता दल यानि BJD और दूसरा नाम आन्ध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी की YSR कांग्रेस का है। किसी के साथ ना होने के बाद भी NDA से इनकी शिकायत भी नहीं है । जो I.N.D.I.A के लिए चिंता की वजह है।
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CM पटनायक को NDA से परेशानी नहीं
सबसे पहले बात नवीन पटनायक की BJD की कर लेते हैं । NDA से BJD ने काफी पहले नाता तोड़ लिया था। उसके बाद नवीन पटनायक गठबंधन की राजनीति से बचते ही रहे हैं । इसबार विपक्षी एकता की मुहिम छेड़ने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कोशिश भी नवीन पटनायक के सामने फेल हो गई । किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं होने के बाद भी NDA के लिए एक सॉफ्ट कॉर्नर नवीन पटनायक ने रखा हुआ है । क्योंकि कई ऐसे मुद्दे हुए जिसमें BJD, NDA के समर्थन में ही खड़ी नजर आई ।
जैसे तीन तलाक, जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाने को प्रस्ताव पर NDA का साथ देना या राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव में NDA प्रत्याशी को वोट करना। मौजूदा समय में दिल्ली सेवा बिल पर भी BJD,NDA के समर्थन में है। जिससे राज्यसभा में इस बिल को पास कराने में केंद्र सरकार को आसानी होगी। BJD ने ये भी ऐलान कर रखा है कि विपक्ष द्वारा लाए जा रहे अविश्वास प्रस्ताव पर वो केन्द्र सरकार का ही साथ देगी। गौरतलब है कि पिछली बार जब NDA सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव 2018 में आया था तो BJD ने वॉकआउट कर दिया था।
CM जगनमोहन के NDA से अघोषित रिश्ते
नवीन पटनायक की तरह आँध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी ने भी अपनी पार्टी YSR कांग्रेस को NDA और INDIA गठबंधन से दूर रखा हुआ है। लेकिन इसके बाद भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनके मधुर रिश्ते किसी से छुपे नहीं हैं।पिछले कुछ महीनों में वो कई बार प्रधानमंत्री से मुलाकात भी कर चुके हैं। जिसके बाद NDA में शामिल होने की सुगबुगाहट भी तेज हुई लेकिन अबतक ऐसा कुछ हुआ नहीं। NDA गठबंधन में ना होकर भी वो जब भी किसी मुद्दे पर जरुरत पड़ी केंद्र सरकार से साथ ही खड़े रहे। वर्त्तमान में दिल्ली सेवा बिल और अविश्वास प्रस्ताव पर भी सरकार के समर्थन में होना, NDA से उनके अघोषित रिश्ते की सच्चाई को बयां कर रहा है।
ऐसा हुआ तो I.N.D.I.A के लिए टेंशन बनेगी BJD-YSRC
यदि लोकसभा चुनाव 2024 में किसी को भी बहुमत हासिल नहीं होता है, तो ऐसी परिस्थिति में BJD और YSRC की अहमियत काफी बढ़ जाएगी। जिस तरह का झुकाव इस वक्त इनदोनों दलों का NDA की तरफ है अगर ऐसा ही उस समय भी रहा तो I.N.D.I.A की टेंशन बढ़नी तय है। इन पूर्वाग्रहों ने अभी भी I.N.D.I.A कोम थोड़ा परेशान तो जरुर कर रही होगी। बता दें कि वर्तमान में BJD के पास उड़ीसा की कुल 21 में से 12 सीटें हैं। वहीं YSR कांग्रेस के पास आंध्रप्रदेश की 25 लोकसभा सीट में से 22 सीटें हैं।