भाजपा नेता ओम बिरला (Om Birla) लगातार दूसरी बार लोकसभा के अध्यक्ष चुन लिए गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ओम बिरला के नाम का प्रस्ताव रखा। वहीं विपक्ष की ओर से के. सुरेश का नाम प्रस्तावित किया गया। इसके बाद ध्वनिमत से ओम बिरला को लोकसभा अध्यक्ष चुने जाने का प्रस्ताव पारित हो गया। वोटिंग की भी जरूरत नहीं पड़ी। हालांकि विपक्ष ने मतदान की मांग की थी। उनके उम्मीदवार के. सुरेश थे। लेकिन प्रोटेम स्पीकर भर्तृहरि महताब ने यह मांग खारिज कर दी।
सदन में इस बार विपक्ष मजबूत स्थिति में है और हर बार वह अपनी मजबूत उपस्थिति को दिखा भी रहा है। लोकसभा में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी विपक्ष के नेता चुने गए हैं। जब ओम बिरला लोकसभा के स्पीकर चुने गए तो पीएम नरेंद्र मोदी और सदन में विपक्ष के नेता राहुल गांधी उन्हें आसन तक छोड़ने आए। इसके अलावा विपक्षी नेताओं ने बधाई देने के साथ ही स्पीकर को ‘चुनौती’ भी दे दी है।
भाजपा सांसद ओम बिरला दूसरी बार चुने गए लोकसभा के अध्यक्ष… वोटिंग नहीं, ध्वनिमत से हुआ फैसला
राहुल गांधी ने कहा- मुझे विश्वास है कि आप विपक्ष की आवाज दबने नहीं देंगे। उन्होंने कहा- यह हाउस देश की जनता की आवाज है। सरकार के पास राजनीतिक ताकत है। लेकिन विपक्ष भी जनता की आवाज है। यह जरूरी है कि जनता के बीच विश्वास बना रहे। मुझे विश्वास है कि आप हमें अपनी आवाज उठाने का मौका देंगे। सवाल यह है कि जनता की कितनी आवाज को यहां मौका मिलता है।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा- उम्मीद है कि विपक्ष की आवाज नहीं दबाई जाएगी। न ही निष्कासन जैसी कार्रवाई की जाएगी। आपका अंकुश विपक्ष पर तो रहता है, सत्ता पर भी रहे। आपके इशारे पर सदन चलता है, इसका उल्टा न हो। अखिलेश यादव ने कहा- आपके पास 5 साल का अनुभव है। वहीं आपको पुराने और नए सदन का अनुभव है। हमें उम्मीद है कि विपक्ष की आवाज न दबाई जाए। न ही निष्कासन जैसी कार्रवाई की जाए। आपका अंकुश विपक्ष पर तो रहता भी है। सत्ता पर भी है। आपके इशारे पर सदन चलता है, इसका उल्टा न हो।
शिरोमणि अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल ने कहा- हम उम्मीद करेंगे कि आप छोटी पार्टियों को भी उतना ही मौका देंगे, जितना आप बड़ी पार्टियों को देते हैं। मेरा अनुरोध है कि आप पहले से ज्यादा मौका देंगे।
सुप्रिया सूले बोलीं- कोविड में आपने जो काम किया, वो सराहनीय है। पांच साल में आपने बहुत अच्छा काम किया, लेकिन जब 150 लोग जब सस्पेंड हुए, तब सबको बहुत दुख हुआ। हम चाहते हैं कि सस्पेंशन न हो, सब मिलकर काम करें। बातचीत का ऑप्शन खुला रहे।
शिवसेना यूटीबी सांसद अरविंद सावंत ने कहा- देश के कई कानून तब पास हुए जब हम निष्कासित थे। हम जो दीवारे खड़ी कर रहे हैं, ये दीवारे टूटनी चाहिए। मणिपुर केस होता है, किसी के आंसू नहीं निकलते। किसान आंदोलन करते हैं, किसी को तकलीफ नहीं होती। बेरोजगार सड़कों पर धूमते हैं, लेकिन किसी को दर्द नहीं होता।