महाराष्ट्र की राजनीति में अलग ही माहौल दिख रहा है। कुछ माह पहले महाविकास अघाड़ी की सत्ता खिसक गई। तब टूट सिर्फ शिवसेना में हुई थी। लेकिन उसके बाद महाविकास अघाड़ी के घटक दल एनसीपी में भी अंदरुनी कलह की कलई खुलनी शुरू हो गई थी। एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार जो कहते, वो माना तो जा रहा था लेकिन कब तक माना जाएगा, यह कहना मुश्किल है। इसके बाद शरद पवार ने जो प्लान बनाया, उसने पार्टी के अंदर के करीबियों को किनारे लगा दिया। यानि कि पवार के पावर गेम में पार्टी के अंदर के उनके विरोधी उलझ कर रह गए।
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इस्तीफे की पेशकश से मच गया बवाल
मंगलवार को Sharad Pawar ने अचानक यह कह दिया कि अब वे NCP अध्यक्ष नहीं रहना चाहते। जाहित तौर पर पवार का पार्टी में रहते हुए विरोध करने वालों को यह उनकी जीत लगी होगी। लेकिन ऐसा हो नहीं सका क्योंकि जिस सभा में पवार ने यह घोषणा की, उसी सभा में पवार के सामने उनकी पार्टी का हर नेता भावुक होकर इस्तीफा वापस लेने की मांग करने लगा।
पार्टी में भाजपा के कारण टकराव
शरद पवार की पार्टी एनसीपी में यह पूरा टकराव भाजपा के कारण आया है। पार्टी का एक गुट वो है जो भाजपा के साथ गठबंधन का पक्षधर है। जबकि दूसरा गुट भाजपा के साथ नहीं जाना चाहता। लेकिन पवार के इस्तीफे की पेशकश होते ही, सभी सन्न रह गए। उसके बाद शुरू हुआ मान-मनौव्वल का दौर। शरद पवार अभी तक इस्तीफा वापस लेने को माने तो नहीं हैं लेकिन भरी सभा में पवार के लिए पूरी पार्टी खड़ा हो जाना पार्टी में उनकी ताकत को पुन: स्थापित कर गया।
पवार के इस्तीफे पर नेताओं का बयान
विनती है कि शरद पवार फैसला वापस लें। पवार ही पार्टी, पवार ही नेता।
छगन भुजबल
शरद पवार के बिना जनता के पास कैसे जाएंगे?
जयंत पाटील
शरद पवार इस्तीफे पर पुनर्विचार करें।
प्रफुल्ल पटेल
अजित पवार
इस्तीफे को लेकर फैसला समिति लेगी।
सुनील तटकरे
शरद पवार के बिना पार्टी नहीं चल सकती।